सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से अधिक उत्पादन और जल संरक्षण दोनों संभव : महापात्र

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से अधिक उत्पादन और जल संरक्षण दोनों संभव : महापात्र
पानी मानव जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज है, यह कुदरत के द्वारा प्रदान किया गया नायाब तोहफा है जिस पर मानव जीवन निर्भर करता है. एक इंसान खाने के बिना दो दिन तक आसानी से जिन्दा रह सकता है, लेकिन पानी के बिना इंसान क्या जानवर भी एक घंटा नहीं रह सकता. इंसान और जानवर तो दूर की बात है, एक पौधा जिससे हमें भोजन प्राप्त होता है वो बिना पानी के सुख जाता है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है केि यदि इस धरती पर पानी नही होगा तो न ही खाने को कुछ मिलेगा और न ही पीने को. इसलिए किसानों को चाहिए की वे सूक्ष्म सिचाई प्रणाली का इस्तेमाल कर जल संरक्षण में सहयोग दें। उक्त बातें आज भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने एक प्रेस वार्ता में कही। पानी की महत्ता को बताते हुए उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि आनेवाले भविष्य में पानी का संकट गहराता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में पानी की सबसे अधिक बर्बादी उद्योग धंधों, कृषि सिंचाई, होटल और रोजाना के इस्तेमाल से होती है। ऐसे में जल संरक्षण करना अती आवश्यक है।पानी बचाने को लेकर जलशक्ति अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद ने कुछ आवश्यक कदम उठाये हैं। जिसके जरिए किसानों को जल संरक्षण और सिंचाई में बर्बाद होने वाले पानी को बचालने के तरीके बताए जा रहे हैं और उन्हें जागरूक किया जा रहा है।
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निदेशक ने 1951 से 2014 तक प्रति व्यक्ति वार्षिक जल उपलब्धता के घट रहे आँकड़ों का हवाला देते हुए चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जल संचयन और संरक्षण का यही हाल रहा तो भविष्य में हमें बहुत बड़े जल-संकट का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा की भारत में जलस्तर लगातार घट रहा है. आने वाले समय में पानी के लिए लड़ाईया होगी और लोग पानी के लिए आपस में लड़ेंगे.
सिंचाई प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता
भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल शक्ति अभियान को सपोर्ट करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान के केंद्र के माध्यम से हमने 500 से अधिक मेलें आयोजित कराए हैं. जिसमें लगभग 10 लाख लोंगो जल शक्ति अभियान के विषय में बताया. उन्होंने कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए जल प्रवाह कृषि सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल न करके सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली और उसमें सेंसर और ऑटोमेशन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकी कम से कम 60-70 प्रतिशत तक जल का बचाव हो और किसानों को अधिक पैदावार मिले। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को फसल प्रबंधन और जल प्रबंधन दोनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. किसानों को चाहिए कि वो खेत में ऐसी फसलों को लगाए जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है जैसे सरसो, दलहन, तिलहन आदि. इससे किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिलेगा और पानी की बचत होगी. इसलिए किसानों को सिंचाई प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता है.