ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी तभी होगा अर्थव्यवस्था का बेड़ा पार

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के वृद्धि दर के आंकड़े सामने आने के बाद से ही देशभर में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर सवालें उठने लगी हैं। वृद्धि दर पिछले छह साल में सबसे कम पांच प्रतिशत पर आने के कारण देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने की बातें कहीं जा रही हैं। सरकार भी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित है और पिछले दो सप्ताह के दौरान उसने आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद कई घोषणाएं कर चुकी है।
‘दो- ढाई साल से मांगों को लेकर सुस्ती जारी है’
लेकिन अचानक से देश की अर्थव्यवस्था में ऐसी सुस्ती आने की असल वजह क्थ्या हैं? इस बारे में तत्कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) से 1994 से 15 साल तक जुड़े रहनेवाले पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार प्रणव सेन की माने तो इसके पिछे सबसे बड़ा कारण ग्रामिण क्षेत्रों में मांगों का नहीं बढ़ना है। हाल ही में न्यूज एजेंसी भाषा को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पिछले दो- ढाई साल से मांगों को लेकर सुस्ती जारी है। वे कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में और खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की आमदनी कम हुई है। जिसके कारण इन क्षेत्रों में उत्पादों की मांग घटी है।
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‘ग्रामीण क्षेत्रों में मांग घटना कोई चक्रिय घटना नहीं’
ग्रामिण क्षेत्रों में मांगों का घटने को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा इसे चक्रिय घटना कहे जाने को लेकर उन्होंने कहा कि आरबीआई का यह आकलन बिल्कुल गलत है। यह कोई चक्रीय घटना नहीं है बल्कि इसके पीछे संरचनात्मक कारण हो सकते हैं। जो सीमित कमाई करने वाला तबका है, उसके खाने पीने के सामान में विस्तार नहीं हुआ है। दाल, चावल, रोटी तो उसे मिल पा रही है लेकिन उसका फल, सब्जी, मीट, मछली, अंडा, दूध का उपभोग नहीं बढ़ पा रहा है।
‘योजनाओं को अमल में लाना बेहद जरूरी’
हाल ही में मोदी सरकार की किसानो को 6,000 रुपये सालाना देने की घोषणा के भी ठीक से लागू नहीं होने को भी उन्होने इसके पिछे का एक कारण माना है। प्रणव सेन कहते हैं कि ‘पीएम किसान’ का ग्रामीण क्षेत्र मांग पर अनुकूल असर होता अगर इसे ठीक ढ़ंग से अमल में लाया जाता तो। साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की भी राशि खर्च नहीं हो पाई। केवल घोषणा करना काफी नहीं है उस पर अमल भी करना होगा। जिससे ग्रामीणों के हाथ में पैसा आए।
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उन्होंने कहा कि अगर सरकार राज्य सरकार से बात करके पीएम किसान योजना की धन राशियों में आनेवाली अड़चनों को दूर कर अगर इसे किसानों तक पहुंचा पाती है तो ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही किसानों के लिए ग्रामिण स्तर पर ही आय बढ़ाने वाली छोटी परियोजनाओं को सरकार को आगे लेकर आना होगा।