Kisan bulletin 8th April 2019- किसानों के लिए फायदेमंद है मल्चिंग तरकीब

Kisan bulletin 8th April 2019-
- कभी अभिशाप मानी जाने वाली गंडक नदी की रेतीली जमीन अब सोना उगल रही है। किसानों की मेहनत से इस जमीन पर खरबूज-तरबूज की पैदावार बढ़ी है। जिसकी डिमांड उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ तक है। आपको बता दें कि, उन्नत प्रभेद के हाइब्रीड बीज से खेती करने वाले किसान हर सीजन में लाखों कमा रहे हैं। क्योंकि, गंडक नदी की छोड़ी गई रेत में ऊपजाई जाने वाली खरबूज में अधिक मिठास होती है। यहीं वजह है कि यूपी के व्यापारी पहले ही यहां आकर किसानों को एडवांस रकम दे जाते हैं और फसल तैयार होने पर ले जाते हैं। गंडक नदी की रेत में सैकड़ों एकड़ भूमि पर किसानों ने इस साल तरबूज की खेती की है। हालांकि, अभी तरबूज-खरबूज तो तैयार नहीं हुआ है। लेकिन, इस रेत में कद्दू, करेला, नेनुआ आदि की फसल लहलहा रही है। जिससे किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगे हुए हैं। आपको बता दें कि, अनुकूल वातावरण और रेत के नीचे मिट्टी होने की वजह से यहां अच्छी किस्म का खरबूज पैदा होता है। जिसके चलते बाजार में इनका भाव भी अच्छा मिलता है। मलचिग विधि से खरबूज व तरबूज का उत्पादन कर रहे किसानों का कहना है कि, ये विधि किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है। इस विधि से फसल के साथ खरपतवार पैदा नहीं होता और पैदावार भी अच्छी होती है। फसल टूटने के दस दिन तक खराब नहीं होती। हालांकि, खेती में कोई भी नई तकनीक को अपनाने से पहले एक डर बना रहता है कि कामयाब होगी या नहीं। लेकिन, इस विधि से सब्जी उत्पादक किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है।
- खेतों में मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी अब किसानों को तुरंत मिल सकेगी। दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा किसानों के लिए यह सुविधा देने जा रहा है। किसानों की कंपनी कोमलिका ग्र्रुप के साथ मिलकर इस काम को संभव किया जाएगा। फिलहाल किसानों को मिट्टी की जांच कराने के बाद कम से कम 7 दिन या कभी-कभी इससे ज्यादा समय के बाद ही रिपोर्ट मिल पाती हैं। इसमें भी जांच दो तरह की होती हैं.. किसान से जांच के लिए 29 और 120 रूपयें लिए जाते हैं, जिसमें 29 रूपये वाली जांच में इलेक्ट्रो कनेक्टिविटी और पॉवर ऑफ हाइड्रोजन आयन के अलावा एनपीके की जांच होती है। जबकि 102 रुपये वाली जांच में सूक्ष्म तत्व जिंक, बोरोन, सल्फर, आयरन, कॉपर की भी जांच की जाती है। कृषि विभाग से जुड़े कर्मचारी कभी-कभी दो या तीन स्थानों से मिट्टी लेकर जांच करते थे। इससे रिपोर्ट भरोसे की नहीं आती है और शिकायत बनी रहती है। जबकि, नियमों के अनुसार, खेत के चारों कोनों के अलावा बीच से मिट्टी के नमूने लेकर.. पांचों जगह की मिट्टी मिलाकर जांच की जानी चाहिए। लेकिन अब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा मिट्टी की जांच के लिए एक Kit उपलब्ध करा रहा है। ये किट ऐसी है कि इसे किसान के खेत पर आसानी से ले जाया जा सकता है। हालांकि, संस्थान जल्द ही किसानों को ये किट उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा हैं.. इस किट के जरिए किसान से एक जांच की फीस ली जाएगी.. जो किफायती होगी। अब मिट्टी की जांच के लिए सात दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। किसान की सहूलियत के लिए किट लेकर खेत पर जांच कराई जाएगी। क्योंकि, मिट्टी की सेहत सही रखने के लिए जांच जरूरी है।
- शनिवार देर रात उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की नींद उड़ा दी। बदले मौसम के तेवर से रबी की फसल बुरी तरह से प्रभावित हो गई। खेतों में खड़ी गेहूं, सरसों, मसूर के अलावा आम की फसल को भी भारी नुकसान होने की आशंका है। आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आसपास के जिलों में शनिवार रात तेज हवाओं के साथ बारिश हुई और ओले गिरे। जिसके कारण बाराबंकी में बिजली की तार टूटने से एक किसान की मौत हो गई। तो वहीं बहराइच में ओले गिरने से गेहूं की फसल गिर गई। श्रावस्ती में भी करीब नौ बजे आंधी के साथ बूंदाबांदी हुई और ओले गिरे। वहां गेहूं और मसूर को काफी नुकसान हुआ हैं। इस बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों के नुकसान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री ने बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसल के नुकसान को लेकर डीएम को 48 घंटे में सर्वे कराने के निर्देश दिए है। इसी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ओलावृष्टि से प्रभावित जनपदों से जनहानि, पशुहानि और मकान क्षति की रिपोर्ट मिलने पर इनसे प्रभावित किसानों को 24 घंटे की अंदर सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं..
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दिल्ली के प्रेस कल्ब ऑफ इंडिया में आज राष्ट्रीय किसान महासंघ नें पिछले 5 सालों में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए किसान-विरोधी फैसलों पर देश के किसानों को जागरूक करने के लिए “नरेन्द्र मोदी किसान विरोधी” नाम की किताब का प्रकाशन किया… इस किताब में मोदी सरकार द्वारा लिए गए सभी किसान विरोधी फैसलों को प्रमाण के साथ बताया गया है। आपको बता दें कि, राष्ट्रीय किसान महासंघ देश के 180 गैर-राजनीतिक संगठनों का समूह है जो लंबे समय से किसान हितों के लिए संघर्ष कर रहा है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेतृत्व में अनेक देशव्यापी किसान आंदोलन भी हुए हैं।
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