Kisan bulletin 3rd April 2019- प्याज के दाम में भारी गिरावट

Kisan bulletin 3rd April 2019-
- कांग्रेस ने मंगलवार को इस लोक सभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। इसमें ग़रीबों के लिए न्यूनतम आय योजना और किसानों के मसलों को प्राथमिकता से शामिल किया गया है। राहुल गांधी ने ऐलान किया कि हम किसानों के लिए अलग से बजट लाएंगे. जैसे रेल के लिए अलग बजट होता था, वैसे ही किसानों के लिए भी अलग से बजट होगा, ताकि उन्हें पता चल सके कि उनके लिए कितना खर्च हो रहा है. और साथ ही किसान जो कर्ज़ नहीं चुका पाएंगे उनकी जबरन वसूली नहीं की जाएगी। कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र को ‘जन आवाज़’ बताया हैं। आपको बता दें कि, हाल ही में राष्ट्रीय किसान महासंघ ने निर्वाचन आयोग जाकर एक मांग पत्र को चुनाव आयुक्त के सामने रखा, जिसमें मांग की गई है कि सभी पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्रों को कानूनी दायरे में लाया जाए, क्योंकि किसानों का कहना है कि मौजूदा सरकार ने इलैक्शन के दौरान जो वादे किए थे… वो महज जुलमे साबित हुए कोई वादा सरकार ने पूरा नहीं किया। इसलिए कानून का शिकंजा जरूरी है। ताकि कोई सियासी पार्टी वोटों की राजनीति कर वोकर्स को ठग ना सके। बात सही भी है चुनावी वादे हकीकत में तब्दील हों उसके लिए एक सबल नियम होना भी चाहिए। ताकि हवा हवाई वादों की सियासत बंद हो सके।
- गाजा तूफान में अपने नारियल के पेड़ गंवा चुके पाट्टुकोट्टै के किसान अपने नुकसान की गणना के लिए राज्य सरकार की ओर से दी जा रही बार-बार की दलील को लेकर नाराज हैं। सरकारी गणना के मुताबिक इस तूफान से तंजावुर जिले की 32 हजार हेक्टेयर नारियल की खेती प्रभावित हुई जबकि स्थानीय किसानों का दावा है कि लगभग 82 हजार एकड़ के एक करोड़ से भी अधिक नारियल के पेड़ बर्बाद हुए थे। इतना कुछ होने के बावजूद अभी तक सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला हैं। उन्होंने कहा सरकार के इस ढुलमुल रवैये से इलाके के किसान काफी दुखी हैं। आपको बता दें कि, तूफान को आए 4 महीने बीत चुके हैं लेकिन पैसे की कमी के कारण आंधी में उखड़े पेड़ों को अभी तक हटाया नहीं जा सका है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए किसान हताश ना हों, ऐसे समय में धैर्य रखें, और सरकार भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द प्रभावितों को संभव मदद पहुंचाए।
- बाजार की बदलते हालातो और बंपर उपज से पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज की खेती करने वाले किसानों की आमदनी 42 अरब रुपये घट गई है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इस बात का पता चला है। कि, इस साल जनवरी के महीने में कृषि बाजार उत्पाद समिति के जरिए करीब 13.22 लाख टन प्याज 13,760 रुपये प्रति टन की दर से बिका था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह 2017 में किसानों को मिली प्याज की कीमत के मुकाबले 61 प्रतिशत कम है। देश के करीब एक-तिहाई प्याज का उत्पादन करने वाले राज्य महाराष्ट्र में प्य़ाज की कीमतों में और बड़ी गिरावट देखी गई है। यहां 5,180 रुपये प्रति टन की दर से प्याज बिके जो पिछले साल की दर से 80 प्रतिशत कम है। कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट का एक कारण ये भी हो सकता है कि पिछले पांच सालों के औसत उत्पादन के मुकाबले इस साल प्याज की अनुमानित उपज 12.48 प्रतिशत ज्यादा रहना है। हाल ही प्याज के अच्छे दाम न मिलने के चलते एक किसान ने आत्महत्या की है। हम किसानों से अपील करते हैं कि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं… क्योंकि समस्या आज है कल नहीं, परेशानियों का हल खोजे। मुश्किलों से हार कर जिन्दगी कों मौत के हवाले न कहें और हां हो सके तो फसल से पहले बाजार की मांग को पहंचाने और उसी आधार पर फसल लगा। इससे आप काफी हद तक नुकसान से बच सकेंगे।
- उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खराबी के चलते किसान सहकारी चीनी मिल सोमवार रात और मंगलवार को दिन में घंटों बंद रही। जिससे गन्ना तौल बंद होने पर किसान पहले तो इंतजार करते रहे, लेकिन बाद में आक्रोशित होकर हंगामा कर दिया। हालांकि बाद में मिल चलने पर किसान शांत हुए। दिन भर चलने के बाद सोमवार रात करीब दो घंटे चीनी मिल बंद रही। खराबी दूर कर मिल को जैसे-तैसे चलाया गया, लेकिन मंगलवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे मिल फिर खराबी के नाम पर बंद हो गई। किसानों ने तौल बंद होने पर हंगामा किया, लेकिन करीब बारह बजे मिल चलने पर गन्ना की तौल शुरू होते ही वह शांत हो गए। इधर, चीनी मिल कर्मचारी यूनियन के मंत्री समेत कई पदाधिकारियों ने मंगलवार को डीएम से मुलाकात करके चीनी मिल में घपलेबाजी और जनवरी से अब तक कर्मचारियों का वेतन न दिए जाने पर नाराजगी जताई। और साथ ही इसकी शिकायत करते हुए जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। किसान हों या कर्मचारी, चीनी मिलों को लेकर इन तमाम समस्याओं के हल तभी संभव है। जब सरकार इन विषयों के प्रति गंभरी हो और सख्त कदम उठाए।
- हरियाणा के एनएच-152 डी के लिए अधिगृहीत जमीन का थ्री-जी अवार्ड रद्द करवाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों का प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहा। धरने पर बैठे किसानों ने नारेबाजी के साथ अपना रोष प्रकट किया। और अब किसानों की निगाहें पांच अप्रैल को होने वाली एनएचएआई चीफ सेक्रेटरी की बैठक पर टिकी हुई है। आपको बता दें कि, किसान अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर 26 फरवरी से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांगें है कि, एनएच में आने वाले किसानों की जमीनों के लिए सरकार उन्हें प्रति एकड़ दो करोड़ मुआवजा दें और साथ ही मौजूदा थ्री जी अवार्ड को रद्द करें, अगर किसान अपनी उपजाऊ जमीन के बदले एक वाजिब मुल्य की मांग करता हैं तो वो मुल्य उसे जरूर मिलना चाहिए, क्योंकि दोस्तों किसान के पास जीवन यापन का एक मात्र साधन उनकी जमीन ही होती हैं। अगर वो भी उससे छीन ली जाए तो वो कमायेगा क्या और खाएगा क्या..??
Grameen News के खबरों को Video रूप मे देखने के लिए ग्रामीण न्यूज़ के YouTube Channel को Subscribe करना ना भूले ::
https://www.youtube.com/channel/UCPoP0VzRh0g50ZqDMGqv7OQ
Kisan और खेती से जुड़ी हर खबर देखने के लिए Green TV India को Subscribe करना ना भूले ::
https://www.youtube.com/user/Greentvindia1
Green TV India की Website Visit करें :: http://www.greentvindia.com/