Kisan Bulletin 5th June 2019- सब्सिडी छोड़ने वाला देश का पहला किसान

Kisan Bulletin 5th June 2019-
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य के किसानों के लिए एक बड़ा ऐलान किया हैं.. दरअसल, प्रदेश सरकार अब सामान्य धान के बीज वितरण में मिलने वाले अनुदान को बढ़ाकर 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत करने जा रही है.. जल्द ही कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला भी लिया जाएगा.. कृषि मंत्री ने बताया कि, पहले किसान पूरी कीमत पर धान की खरीद करेंगे, उसके बाद धान का मूल्य डीबीटी के जरिए किसान के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.. दरअसल, हाल ही में राज्य के कृषि मंत्री ने गोरखपुर में हुई एक प्रैस कांफ्रेंस के जरिए किसानों से अपील की है कि, वो शासन की सुविधाओं का फायदा उठाकर अपनी आय में इजाफा करें.. उन्होंने कहा है कि, सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में खरीफ की बुआई के लिए बीज, खाद और खरपतवार नाशक उपलब्ध करा दिए गए है। इसी के साथ आपको बता दें कि, अपने नए कार्यकाल की पहली कैबिनेट मीटिंग में मोदी सरकार ने भी किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं.. जिनमें पीएम किसान सम्मान निधि योजना का दायरा बढ़ाकर अब उसे छोटे बड़े सभी किसानों के लिए लागू किया गया है.. और साथ ही, किसान पेंशन योजना को भी मंजूरी दे दी गई है.. हालांकि, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए टेंडर की प्रक्रिया जारी करने की सूचना दी हैं.. जिसमें अब तक 51 जनपदों के लिए टेंडर हो पूरा हो चुका है। जबकि, आने वाली 10 जून तक बाकी बचे 24 जनपदों के टेंडर का काम भी पूरा कर लिया जाएगा.. आपको बता दें कि, इससे पहले इस योजना के अंतर्गत के नुकसान की धनराशि का आकलन 7 साल के औसत उत्पादन को आधान बना कर किया जाता था लेकिन अब किसानों के हित में इस सीमा को घटा कर 5 साल कर दिया गया हैं.. तो वहीं बीमा कंपनियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि, वो ब्लाक स्तर पर अपना कार्यालय खोले। इसके अलावा कामर्शियल फसलों के कवरेज का दायरा केला और मिर्च से बढ़ा कर इसमें टमाटर, आम, हरी मटर और आलू को भी शामिल किया गया है।
जहां एक तरफ देश का किसान सरकार से कर्ज माफी, फसल बीमा, और ना जाने कितनी ही ऐसी योजनाओं की मांग कर रहे हैं.. तो वहीं दूसरी तरफ इन सबके बीच एक किसान ऐसा भी है जिसने केंद्र सरकार की 6000 रूपये की किसान सब्सिडी वापस करने का फैसला किया है.. दरअसल, आपको बता दें कि, मेहसाणा जिले के ऊंझा तालुका के टून्दाव गांव के रहने वाले किसान जीतूभाई ने ना केवल खुदको बल्कि अपने परिवार के 8 सदस्यों को भी सब्सिडी वापस करने के लिए राजी किया है.. आपको बता दें कि, उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सालाना छह हजार रुपये की सब्सिडी वापस कर दी है.. और जीतूभाई पटेल ने पर्यावरण के लिए जो भी काम किए है उन्हें देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें गुजरात का हरित राजदूत भी बनाया है. दरअसल, समाज सेवा से जुड़े जीतूभाई पटेल आर्थिक रूप से खुश है.. जिसके चलते उन्होंन अपने हिस्से की सब्सिडी छोड़ने का फैसला किया है.. और इसी के साथ वो देश के पहले सब्सिडी छोड़ने वाले किसान बन गए… हालांकि, इतना ही नहीं, जीतूभाई की इस पहल को देखते हुए गांव के और भी कई किसान आगे आए हैं.. दोस्तों आपको बता दें कि, सरकारी योजना का एकमात्र उद्देश्य है कि अगर आर्थिक रूप से संपन्न लोग उन्हें मिलने वाला सरकारी लाभ छोड़ दें, तभी सही मायने में जरुरतमंद को सरकारी योजना का लाभ मिल सकता है… हालांकि सरकारी योजनाओं का लाभ छोड़ने के लिए बहुत कम लोग तैयार होते हैं लेकिन अगर अन्य संपन्न किसान अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए आगे आते हैं, तभी इसका लाभ जरूरतमंदों को मिल सकता है…
पंजाब के कपूरथला जिले के दोना क्षेत्र में खरबूजे और तरबूज की खेती बड़े स्तर पर की जाती है और यहां से खरबूजे और तरबूज पंजाब के अन्य जिलों के साथ ही दूसरे राज्यों को भारी संख्या में निर्यात किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी किसानों को कोई खास फायदा नही हो रहा तो वहीं व्यापारी और दुकानदारों की बात करें तो वो किसानों की मेहनत से खूब पैसे कमा रहे हैं.. दरअसल, कपूरथला की सब्जी मंडी में किसान अपने खरबूजे और तरबूज की ट्रालियां को जब लेकर आते है तो उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पडता है। व्यापारी अपनी मन मर्जी से खरबूजे और तरबूज की ट्राली का रेट लगाते हैं और बाद में उसे मार्केट में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एक खबर के अनुसार, कपूरथला की मंड़ी में किसानों की खरबूजे और तरबूज की ट्रालियां 800 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक बिकती है.. जिसके लेकर किसानों का कहना है कि, फसल की तुड़ाई और उसे मंडी में लेकर आने का खर्च ही 1500 रुपए के करीब आ जाता है लेकिन वो आखिर करें भी तो क्या। किसानों ने कहा कि जब उन्होंने आलू बेचे थे तो उनके पास आलू व्यापारियों की ओर से आलू करीब 4-5 रुपए किलो खरीदे गए। व्यापारी ने उनसे आलू को खरीद कर स्टोरों में जमा कर लिया..औऱ फिर उसी आलू का रेट 10 रुपए के करीब हो गया। और बस इसी तरह ही अब खरबूजे और तरबूज की बारी में भी किसानों के साथ यही हो रहा है जबकि खरबूजा व तरबूज किसानों से 1 से 2 रुपये प्रति किलो खरीदा जा रहा है। और यही खरबूजा और तरबूज व्यापारी और दुकानदार 10 रुपए प्रति किलों की दर से बेंचज रहे है.. ऐसे में किसान परेशान हैं क्योंकि, उनकी कई महीनों की मेहनत के बावजूद भी उनको उनकी फसल का सही दाम नही मिलता। जहां एक तरफ व्यापारी एक दिन में 10 गुना मुनाफा कमा कर मालामाल हो रहे है। तो वहीं किसान इतनी मेहनत के बाद भी घाटे का सौदा झेलने पर मजबूर है.. इसी के चलते कपूरथला के किसानों ने सरकार से मांग की है कि गेहूं और धान की तरह आलू, खरबूजा, तरबूज व सब्जियों के समर्थन मूल्य भी तय करे ताकि किसान आर्थिक तंगी का शिकार होने से बच सके और खरीददार को सस्ते रेट पर यह सब मिल सके।
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