महिला प्रधान ने बदल दी तस्वीर, बनाया सुबे का पहला डिजिटल गांव

महिला प्रधान ने बदल पूरे गाँव की तस्वीर, बनाया सुबे का पहला डिजिटल गाँव
इस आधुनिक युग में भी हम महिलाओं को अक्सर अपने से कमजोर समझने की भूल कर बैठते हैं। प्राचीन काल में भी महिलाओं को अक्सर कमजोर समझा जाता था। लेकिन उस समय भी महिलाएं पुरुषों से आगे होती थी और आज भी कई मामलों में पुरुषों को महिलाएं पिछे छोड़ रही हैं। इस बात को साबित किया है उत्तर प्रदेश राज्य के एक छोटे से गाँव की ग्राम प्रधान श्वेता सिंह ने, जो दूसरों के लिए आज एक प्रेरणा बन गई हैं। श्वेता सिंह उत्तर प्रदेश के लखनऊ के मलीहाबाद ब्लॉक के लतीफपुर ग्राम पंचायत की ग्राम प्रधान हैं। जिन्होंने पूरे गाँव की तस्वीर बदल कर रख दी।
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श्वेता सिंह कर चुकी हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई
मलीहाबाद देशभर में अपने आमों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन अब श्वेता सिंह की प्रधानी के लिए यह गांव चर्चा में है। मलीहाबाद से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लतीफपुर गाँव को श्वेता ने राज्य के पहले डिजिटल गाँव का दर्जा दिलाया और इस गांव को पूरी तरह से स्मार्ट गाँव में बदल दिया है। अब इस गाँव में अधिकतर कार्य पेपरलेस होते हैं। इतना ही नहीं यहां सरकारी कामों की जानकारी भी ऑनलइन ही दी जाती है। ग्राम प्रधान श्वेता सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी हैं। उन्होंने एमसीए की डिग्री हासिल कर रखी है।

दरअसल श्वेता सिंह शुरू से ही किसानों की मदद करना चाहती थी। इसलिए वो समय—समय पर गांव के लोगों को सलाह भी देती रहती थी। साल 2008 में श्वेता सिंह की शादी हो गई। एमसीए करने के बाद श्वेता को नौकरी के काफी ऑफर मिले, घर वालों ने भी कहा लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं की। वो कुछ अलग ही करना चाहती थी। उनके पति किसान भी हैं और अपना व्यापार भी करते हैं। श्वेता के इसी जज्बे को देखकर उनके पति ने भी उनका साथ दिया साल 2015 में उन्होंने अपनी पत्नी को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वाया। इस चुनाव में श्वेता भारी मतों से जीतकर ग्राम प्रधान बनी और उसके बाद उन्होंने गांव में बदलाव लहर ला दी।
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स्वेता के प्रधान बनते ही बदल गई गांव की तस्वीर
उन्होंने गाँव में विकास कार्य को बढ़ावा दिया और डिजिटल इंडिया का फायदा उठाकर उन्होंने गांव को पूरी तरह से डिजिटल बना दिया। अब लतीफपुर ग्राम पंचायत में गांव की शिकायतों से लेकर पेमेंट और तहसील संबंधी सभी काम ऑनलाइन ही होते हैं। यहाँ तक कि लोगो को बैंक तक भी जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। गांव में ही डोरस्टेप बेंकिग की सुविधा उपलब्ध है। इसलिए बैंक से जुड़ी किसी भी काम को कराने के लिए स्वयं बैंक कर्मी ही गाँव पहुंचते हैं। इस गाँव को बदलने में श्वेता सिंह को पढ़े लिखे होने का बहुत फायदा मिला। क्योंकि उनकी तकनीकि जानकारी तो पहले से ही अच्छी थी साथ ही उनको सरकारी योजनाओं का भी अच्छा ज्ञान था। इसलिए इस गांव को उन्होंने एक रोल मॉडल गाँव बना दिया।
क्या बदला गाँव में :
— इस समय गाँव में हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है.
— गांव में पक्की सड़के, गोबर गैस प्लांट और गैस कनेक्शन की पूरी सुविधा है.
— गांववालों को सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध कराई जाती है.
— यदि गांव में कोई समस्या होती है तो इसके लिए व्हाट्सप्प ग्रुप पर वीडियो के जरिए उस समस्या को हल करने के लिए उस पर चर्चा होती है.
— गांव का पंचायत भवन पूरी तरह से वातानुकूलित है.
— जिले में ई—स्पर्श योजना पाने वाला पहला गांव बना
— 1600 परिवारों के इस गांव में सभी पात्रों को पेंशन मिलता है
— 100 फीसद लोगों के पास राशन कार्ड, गैस कनेक्शन
— गांव की सभी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज होती हैं
— गांव में डोरस्टेप बैंकिंग की सुविधा, बैंक कर्मचारी खुद घर पहुंचते है
इस तरह से एक महिला प्रधान ने इस गांव की पूरी तस्वीर को आधुनिक गाँव में तब्दील कर दिया जिसके बाद इस गाँव को प्रदेश का पहला डिजिटल गाँव होने का गौरव प्राप्त हुआ।
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