राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद को लेकर भी बयानबाजी तेज

देश में होने जा रहे लोकसभा चुनावों की पीपड़ी हर जगह सुनाई देने लगी है. हालांकि उससे पहले देश में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सियासत का पारा और तेजी से चढ़ रहा है. जिसमें पक्ष विपक्ष तो एक दूसरे पर छीटाकशी कर ही रहे हैं हालांकि इस दौरान अपने भी अपने पर उंगुलियां उठाने लगे हैं. यही हाल राजस्थान का भी है जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद को लेकर भी बयानबाजी तेज हो गई है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुख्मंत्री पद की उम्मीदवारी के सवाल पर पार्टी के महासचिव अशोक गहलोत ने बीते सोमवार को कहा कि, चुनाव नजदीक आने को हैं ऐसे में असल खेल तो अब शुरू हुआ है. आगे आगे देखिए क्या क्या होता है. गेम तो अब शुरू हुआ है.
अशोक गहलोत से जब ये सवाल पूछा गया कि, राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इसके जबाव में उन्होंने कहा कि, जब कोई इंसान कौन बनेगा करोड़पति खेलने जाता है, उस समय उसे कहां पता होता है कि करोड़पति कौन बनेगा. ये तो आखिरी सवाल तक खेलने के बाद ही पता चलता है कि करोड़पति कौन बनेगा.
वहीं रणदीप सिंह सुरजेवाला की माने तो अशोक गहलोत ने बिना ज्यादा बोले धोनी की तरह ही हेलीकॉप्टर शॉट खेला है. इसी बात को अशोक गहलोत ने जयपुर में भी दोहराते हुए कहा कि, असल खेल अभी शुरू नहीं हुआ है. गेम तो अब शुरू होगा. देखते रहिए आगे आगे क्या होता है. गहलोत के इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चायें काफी तेज हो गई हैं. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि, अशोक गहलोत ने इशारों में मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी काफी मजबूती से पेश कर दी है.
हालांकि इससे तो साफ जाहिर है कि, विधानसभा चुनावों को लेकर पायलट और गहलोत के बीच अंदर ही अंदर महाभारत मची है कि इस बार उम्मीदवारों का टिकट कौन बांटेगा. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि, दोनों में कौन मुख्यमंत्री बनेगा इसका असल फैसला अभी अंतिम राउंड में जाकर ही साफ होगा.
हालांकि इससे पहले दोनों ही राजस्थान की जनता के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर संदेश देना चाहते हैं कि वो कांग्रेस इस बार काफी मजबूत स्थिति में है जिसके चलते उनके समर्थकों को निराश होने की जरूरत नहीं है. हमेशा से अशोक गहलोत काफी नपे तुले और सुलझे नेता वाली छाप रखते हैं. हालांकि जिस तरह से उन्होंने ये बात कही है उससे लगभग ये तय माना जा रहा है कि, ये अपने समर्थकों के संदेश देना चाहते हैं कि भले ही वो दिल्ली चले गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद के वो ही असल दावेदार हैं.
वहीं दूसरी तरफ अगर देखे तों पिछले 5 सालों से कांग्रेस पार्टी की कमान संभाले सचिन पायलट इस उम्मीद में बैठे हैं कि, उन्होंने जो संघर्ष पार्टी को लेकर किया है उसका फल उन्हें जरूर मिलेगा. सचिन पायलट जिस तरह से राहुल गांधी के साथ सहज दिखते हैं उसको लेकर भी राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में चर्चायें काफी हैं. इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि, अगर राजस्थान में अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री हो सकते हैं।
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