देश के 10 ऐसे गांव, जो बाकी गांवों के लिए मिसाल बनकर सामने आते है।

देश में ऐसे कई गांव है। देश के बाकी गांवों के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभा रहे है। देश का सबसे साफ मेव्लेयॉन्ग गांव है। हिवारे देश का सबसे अमीर गांव है। केरल का पोथनीकड़ गांव देश का पहला ऐसा गांव है। जहां 100 प्रतिशत साक्षरता है। बेक्किनकेरी गांव देश का पहला शौचमुक्त गांव है।
हमारे देश में ऐसे कई गांव है। जहां कुछ ना कुछ अलग होता आपको देखने को मिल सकता है। आज ऐसे ही 10 गांव के बारे में हम आपको बतायेंगे। जो देश के बाकी गांवों के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभा रहे है।
- मेघालय का मेव्लेयॉन्ग गांव
इन 10 गांवों में पहला नाम मेघालय के मेव्लेयॉन्ग गांव का है। ये गांव शिलांग से 90 किमी. दूर बसा हुआ है। ये गांव देश के सबसे साफ गांवों मे सबसे ऊंचे स्थान पर आता है। इस गांव में सफाई इस कदर है। कि आप पूरे गांव में कहीं कूड़ें का एक तिनका भी नहीं ढूंढ पायेंगे। साल 2003 में इस गांव को सफाई के लिए सम्मानित भी किया गया है। मेव्लेयॉन्ग को ‘क्लीनेस्ट विलेज इन एशिया’ का खिताब मिल चुका है। हालांकि, गांव में कुल 95 परिवार रहते है। जो मुख्य रूप से सुपारी की खेती करते है।
- गुजरात का पुंसरी गांव
पुंसरी गांव गुजरात के गांधीनगर से 35 किमी. दूर सांबरकांठा जिले में बसा हुआ है। कुछ सालों पहले तक पुंसरी गांव भी बाकी गांवो की तरह ही था। लेकिन अब ये गांव वाई-फाई, सीसीटीवी और तमाम जरूरी सुविधाओं से लैस टेक्नोलॉजी के प्रयोग का उत्तम केंद्र बनकर उभरा है। पुंसरी की तरक्की देखकर केन्या सरकार भी अपने गांवों का विकास करने में जुट गई। पूरा गांव न सिर्फ वाई-फाई से लैस है। इतना ही नहीं गांव से कहीं आने-जाने के लिए नि:शुल्क बस सेवा भी मौजूद है।
- महाराष्ट्र का हिवारे बाजार गांव
हिवारे देश का सबसे अमीर गांव है। ये महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित है। इस गांवों की अमीरी के पीछे पोपटराव पवार हैं। पवार ने गांव में व्यसन से जुड़ी चीजों को प्रतिबंधित कर दिया और गांव वालों को बचत के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद बचत को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, दूध उत्पादन और पशुओं में लगाने को कहा। गांव में अब 60 ऐसे लखपति हैं जो बेहद गरीब थे। यहां कोई भी घर बीपीएल की श्रेणी में नहीं है।
- बिहार का धारनई गांव
बिहार का धारनाई गांव कुछ सालों पहले तक अंधेरे में गुम था। लेकिन साल 2014 से इस गांव में बिजली का स्वागत हो गया है। बिजली आने से पहले 30 सालों तक इस गांव में उजाले का नामो-निशान तक नहीं था। लेकिन ग्रीनपीस की मदद से ये गांव अब पूरी तरह सौर ऊर्जा से जगमग है। साल 2014 में धारनई गांव ने खुद को ऊर्जा स्वतंत्र गांव घोषित कर दिया था। इस गांव की आबादी करीब 2400 लोगों की है।
- महाराष्ट्र का शनि सिंगड़ापुर
महाराष्ट्र का शनि सिंगड़ापुर गांव अपनी एक खास बात के लिए कई बार खबरों में आ चुका है। शनि सिंगड़ापुर गांव के किसी घर में दरवाजे नहीं हैं। यहां चोरी का कोई खतरा नहीं है। ये सबसे सुरक्षित गांवों में से एक है। और यहां तक कि गांव के यूको बैंक की ब्रांच में ताला नहीं लगता है।
- हरियाणा का छापर
हरियाणा और राजस्थान भ्रूण हत्या के लिए एक वक्त पर बहुत जाने जाते थे। लेकिन हरियाणा के इस गांव ने इन सबसे आगे बढ़कर एक पहल की है। हरियाणा के छापर गांव में बेटी के जन्म पर मिठाईयां बांटने की सबसे पहली शुरूआत हुई। हालांकि, इस परंपरा की शुरूआत कुछ सालो पहले गांव की सामान्य सरपंच नीलम देवी ने की थी। लेकिन तभी से गांव अपने इस अच्छे काम के लिए सुर्खियां बंटोर रहा है।
- केरल की नीलांबुर गांव
इस गांव की खूबी ये है। कि ये दहेज से पूरी तरह मुक्त है। साल 2009 से ही इस गांव में दहेज पर प्रतिबंध लगा दिया गया। और तभी से गांव के लोगों ने तय किया। कि न दहेज देंगे न लेंगे। इसके लिए कैंपेन चलाया गया। अब आसपास के कई गांव भी दहेज मुक्त हो गए हैं। इतना ही नहीं, गांव की महिलाएं डाउरी फ्री मैरिज डॉट कॉम नाम से वेबसाइट शुरू करने जा रही हैं।
- उत्तर प्रदेश का बल्लिया गांव
कुछ वक्त पहले तक गांव के लोग पानी में मिले खतरनाक आर्सेनिक जहर से परेशान थे। सरकार ने कई हैंडपंप लगवाए लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा। और इसके बाद गांव वालों ने पुराने कुओं का सहारा लिया। और परंपरागत तरीके से पानी निकालना शुरू किया। जिसके कारण गांवों के लोगों ने खुदको जहरीले पानी से मुक्त करा लिया। इस मुहिम की अगुवाई गांव के बुजुर्गों ने की।
- केरल का पोथनीकड़ गांव
जैसा की आप जानते है पढाई में केरल राज्य हमेशा अव्वल नंबर पर रहा है। लेकिन केरल का पोथनीकड़ गांव देश का पहला ऐसा गांव है। जहां 100 प्रतिशत साक्षरता है। इस गांव की आबादी करीब 18 हजार है। औऱ सब के सब पढ़े लिखे है। साथ ही, इस गांव में सीबीएसई बोर्ड़ भी है।
- कर्नाटक का बेक्किनकेरी गांव
कर्नाटक के इस गांव में कोई भी खुले में शौच नहीं जाता। हालांकि, कुछ सालों पहले तक यहां भी शौच खुले में ही किया जाता था। लेकिन पंचायत के उठाये कदम के बाद से ही गांव के लोगों ने भी बदलाव किया। पहले पंचायत ने गांववासियों से खुले में शौच न जाने की गुजारिश की तो लोग नहीं माने। इस पर पंचायत ने कई शौचालय बनवाए। और ये पहल काम भी कर गई। गांव के लोग अब इन्हीं शौचालयों में जाते हैं। और ये देश का पहला शौचमुक्त गांव है।
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