चीनी निर्यात पर सब्सिडी देगी सरकार, गन्ना किसानों को मिलेगा फायदा

चीनी निर्यात
भारत गन्ने का उत्पादन करने वाला एक बड़ा देश है जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय शुगर मार्किट में भारत की अपनी एक अलग पहचान है. देश के महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन होता है। इन राज्यों के किसान अधिकतर गन्ने की ही खेती करते हैं। गन्ना उत्पादन किसानों के लिए एक नकदी फसल है जिससे किसानों को फायदा मिलता है। देशभर में जैसे ही गन्ना पेराई का सत्र शुरू होता है तो किसान जी जान से अपने खेतों में गन्ने को छीलना शुरू कर देते हैं, लेकिन हर साल किसानों के सामने जो सबसे बड़ी समस्या आती है वो गन्ना भुगतान को लेकर आती है। चीनी मीले हर साल किसानों के गन्ने का भुगतान रोक लेती हैं। जिससे किसानों को अधिक परेशानी होती है। लेकिन सरकार का मानना है कि, चीनी निर्यात दूसरे देशों में करेंगे तो उससे किसानों की परेशानी दूर हो जाएगी।
हाल ही में इसको लेकर प्रधानमंत्री की अगुवाई में मोदी कैबिनेट ने गन्ना किसानों के हित में फैसला लिया है कि, चीनी निर्यात पर सब्सिडी दी जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 6 हजार 268 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी है। इस पर सरकार ने कहा कि सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में जाएगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से चीनी के दाम ठीक रहेंगे और किसानों को नुकसान भी नहीं होगा।
नरेन्द्र मोदी की अध्यंक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गन्ना सीजन 2019-20 के दौरान चीनी मिलों के लिए 10,448 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से निर्यात सब्सिडी प्रदान करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस उद्देश्यं की पूर्ति के लिए लगभग 6,268 करोड़ रुपए का कुल अनुमानित व्यजय होगा। गन्नां सीजन 2019-20 के लिए एकमुश्त निर्यात सब्सिडी आवाजाही, उन्नयन और प्रक्रिया संबंधी अन्य लागतों, अंतर्राष्ट्रीय और आंतरिक परिवहन की लागतों और निर्यात पर ढुलाई शुल्कों सहित लागत व्यय को पूरा करने के लिए अधिकतम 60 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात पर अधिकतम मान्य निर्यात मात्रा के लिए चीनी मिलों को आवंटित की जाएगी।
चीनी मिलों द्वारा गन्ने की बकाया राशि किसानों के बैंक खाते में सब्सिडी की राशि सीधे तौर पर जमा कराई जाएगी और यदि कोई शेष बकाया राशि होगी तो चीनी मिल के खाते में जमा कराई जाएगी। कृषि समझौते की धारा 9.1 (डी) और (ई) के प्रावधानों तथा डब्यूटीओ के प्रावधानों के अनुसार सब्सिडी दी जाएगी। सरकार का ये फैसला गन्ना किसानों के कितना हित में होगा और गन्ने का भुगतान किसानों को समय पर मिल पायेगा या नहीं यह तो बाद में पता लगेगा। फिलहाल चीनी मीलों के सामने किसानों के गन्ने के बकाया भुगतान को चुकाना सबसे बड़ी चुनौती है।
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