किसान बुलेटिन 14 दिसंबर 2018- ये बड़ा कदम उठाने की तैयारी में योगी सरकार

किसान बुलेटिन 14 दिसंबर 2018-
- लहसुन को सेहत का खजाना कहा जाता है, लेकिन सेहत के इस खजाने ने इन किसानों की जेब खाली कर दी है. भारत में इस साल लहसुन की बंपर फसल होने से पहले से ही बाजार में लहसुन के दाम गिरे हुए हैं. इसके बाद एक मात्र एक्सपोर्ट से किसानों को जो अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी वह भी टूट गई क्योंकि, चीन में भी लहसुन की बंपर पैदावार हुई है। अच्छी पैदावार के चलते चीन सस्ता और अच्छी क्वॉलिटी का लहसुन आंतरराष्ट्रीय मार्किट में देने लगा हैं। चीन के इस कदम से भारत में लहसुन की डिमांड इंटरनेशनल मार्केट में नहीं उठ रही है। और मांग नहीं होने से लहसुन के दाम पिछले पांच सालों के निचले स्तर तक आ गए हैं।
- बिहार के नवादा प्रखंड के सभी 15 पंचायतों में किसानों की धान खरीद अब तक आरंभ नहीं हो सकी है। पैक्स अध्यक्ष और व्यापार मंडल को 15 नवम्बर से ही धान की खरीद शुरू करनी थी। लेकिन 13 दिसम्बर बीत जाने के बाद भी खरीद शुरू नहीं हो सकी हैं। खरीद के लिए पैक्स और व्यापार मंडल को सरकार के स्तर से राशि भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। ऐसे में किसान क्रय एजेंसियों का चक्कर लगा रहे हैं।
- उत्तर प्रदेश के संभल में प्रशासन से नाराज एक किसान ने दो घंटे में दो बार आत्महत्या की कोशिश की. एक बार उसने डीएम ऑफिस के बार खुद पर पेट्रोल छिड़कर आग लगाने लगानी चाही. वहीं दूसरी बार हथकड़ी मारकर फिर से किसान ने आत्महत्या कोशिश की. हालांकि गनीमत ये रही कि दोनों बार किसान की जान बच गई. किसान भगत सिंह का आरोप है कि लेखपाल और प्रधान ने जबरन पेड़ काटकर उसके खेत में चकरोड डाल दिया. राजनीतिक और जातीय आधार पर प्रधान उसका उत्पीडन कर रहा है।
- योगी सरकार हाल ही में धान बेचने वाले किसानों और राइस मिलरों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। किसानों को धान का उचित मूल्य न मिलने की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल को राहत का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। वित्तमंत्री ने गुरुवार को प्रमुख सचिव खाद्य, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री और खाद्य आयुक्त के साथ लंबी बैठक की। वह सोमवार तक मसौदा तैयार करके मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में रखेंगे।
- आलू किसानों ने अपनी जान देनी शुरू कर दी है। पिछले सीजन में आलू का वाजिब दाम न मिलने की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश और पंजाब से नया आलू आ जाने की वजह से अब पुराना कोई नहीं पूछ रहा है। इसलिए कोल्ड स्टोरेज में रखा हजारों टन आलू सड़ने की कगार पर है। बाराबंकी के किसानों ने पिछले दिनों सैकड़ों टन आलू सड़कों पर फेंककर अपना रोष भी जताया था, और अब कन्नौज और फर्रुखाबाद जैसे सर्वाधिक आलू उत्पादन करने वाले जिलों से किसानों के आत्महत्या करने की खबरें आ रही हैं।
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