किसान क्रांति यात्रा के चलते बीते मंगलवार को किसानों और पुलिस अधिकारियों के बीच हुई झड़प

किसान क्रांति यात्रा के चलते बीते मंगलवार को दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों और पुलिस अधिकारियों के बीच जमकर झड़प हुई। किसानों का दिल्ली में प्रवेश रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस से लेकर हवाई फायरिंग तक सारे पैतरे अपनाए, लेकिन किसानों ने इसके बाद भी हार नहीं मानी। हालांकि, इस हिंसा में 7 पुलिस अधिकारी और 36 किसान घायल भी हुए।
जिसके बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधि नरेश टिकैत और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बीच किसानों की मांगों को लेकर फोन पर बात हुई। कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किसान नेताओं से मुलाकात की और उनकी मांगों पर चर्चा कर ज्यादातर मुद्दों पर आपसी सहमति बनी है। किसानों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही प्रदर्शन खत्म कर देंगे। इस आश्वासन के तुरंत बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसान सरकार के आश्वासन को स्वीकार नहीं करेंगे। इतना ही नहीं, किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी जारी की है कि, वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
आपको बता दें कि, किसानों का विरोध इसके बाद लगातार बढ़ता जा रहा हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी पर गुस्साए किसानों ने जूता फेंका। इस घटना में मंत्री बाल-बाल बच गए। मंत्री ने किसानों की कुछ मांगो को पूरा करने का आश्वासन दिया। इसी दौरान लौटते समय उन्हें किसानों का भारी विरोध झेलना पड़ा। सरकार की ओर से यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, सुरेश राणा और कृषि सचिव संजय अग्रवाल किसानों से मिलने पहुंचे थे। किसानों ने हाथ हिलाते हुए सरकार के आश्वासनों को नकार दिया। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
बाद में पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह के स्मारक किसान घाट पहुंच किसानों ने अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा, ’23 सितंबर को शुरू हुई ‘किसान क्रांति यात्रा’ किसान घाट पहुंचकर खत्म हो गई है। क्योंकि दिल्ली पुलिस ने हमें राजधानी में घुसने की इजाजत नहीं दी थी इसलिए हमने प्रदर्शन किया था। हमारा मकसद यात्रा को खत्म करने का था जो अब पूरा हुआ। अब हम अपने गांव जाएंगे।’
हालांकि अभी इनकी मांगों को लेकर सरकार की ओर से क्या पहल की गई है, इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। बता दें कि मंगलवार को किसानों और पुलिस के बीच काफी हिंसक संघर्ष देखने को मिला। किसानों को दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोकने के लिए यूपी और दिल्ली, दोनों राज्यों की पुलिस ने पूरा जोर लगा रखा था। मंगलवार देर रात करीब 12:30 बजे पुलिस ने बैरियर खोल दिए और किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दे दी।
बता दें कि मंगलवार सुबह करीब सवा 11 बजे किसानों का यह आंदोलन तब हिंसक हुआ जब उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में घुसने की कोशिश की। पुलिस के मुताबिक किसानों ने पत्थरबाजी की, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। पानी की बौछारें छोड़ीं। लाठियां चलाईं। रबड़ की गोलियां भी दागीं। ट्रैक्टरों के तार काट दिए। पहियों की हवा निकाल दी। करीब आधे घंटे तक अफरा-तफरी जैसे हालात में 100 से ज्यादा किसानों को चोंटें आईं, कुछ गंभीर भी हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस के एक ACP समेत 7 पुलिसकर्मी घायल हुए।
आईए आखिर में आपको बता देते हैं की किसानों की क्या मांगें थी।
– किसान 60 साल की आयु के बाद पेंशन देने की मांग कर रहे हैं।
– वह पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव करने की मांग कर रहें हैं।
– किसान गन्नो की कीमतों का जल्द भुगतान की मांग कर रहें हैं।
– किसान कर्जमाफी की भी मांग कर रहे हैं।
– सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त में देने की भी मांग की जा रही हैं।
– किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज मुक्त लोन की भी मांग की जा रही हैं।
– आवारा पशुओं से फसल का बचाव की मांग भी किसान कर रहें हैं।
– सभी फसलों की पूरी तरह खरीद की मांग भी की गई है।
– इसके अलावा किसान स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग कर रहें है।
– गन्ने की कीमतों के भुगतान में देरी पर ब्याज देने की मांग भी की जा रही हैं।
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