कैंसर होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत.. कैंसर से लड़कर जी रहें हैं अपनी जिंदगी

कैंसर.. ये शब्द सुनकर लोग परेशान हो जाते हैं। कैंसर कोई छोटी बिमारी नहीं हैं। कैंसर की बिमारी से लोगों की मौत हो जाती हैं। लेकिन कैंसर से बचा जा सकता हैं। अगर आपके अंदर हिम्मत हो, जीने का जज्बा हो, अत्मविश्वास हो और अपनो का सपोर्ट और प्यार हो तो कैंसर जैसी बिमारी से आप अराम से लड़ सकते हैं। हम आपको कुछ ऐसे कैंसर पीड़ितों के बारे में बताने जा रहें हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर जज्बा हो तो किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है..और आप इन लोगों से जान सकते हैं कि कैसे लड़े कैंसर जैसी बिमारी से…
सबसे पहले बात करते हैं होम्योपैथिक डॉक्टर सुनील कुमार की। यह गोरखपुर के निजी अस्पताल के डॉक्टर हैं। सुनील कुमार को 2004 में ओपल कैंसर हुआ था। कैंसर से वे मुंह तक नहीं खोल पा रहे थे। और खाने पीने में भी उन्हें काफी मुश्किल आ रही थी। कैंसर होने के बाद लोगो के दिमाग में बस एक ही बात आती की अब उनकी जिंदगी ज्यादा समय की नहीं रही, और ये ही हाल डॉ. सुनील का भी था। उनका इलाज केजीएमयू में चला जहां वो कैंसर से पीड़ित बच्चो से मिले, वो बच्चे करीब 10 साल से कैसर से पीड़ित थे। बच्चे अस्पताल में खेल रहें थे। हस रहें थे। जिसके बाद उन्होंने सोचा की जब इतने साल से इन बच्चों ने हिम्मत नही हारी तो मैं कैसे हिम्मत हार सकता हुं। छह महीने तक डॉ. सुनील का इलाज केजीएमयू में चला। डॉक्टर ने उनकी दो सर्जरी की, जिसके बाद डॉ. सुनील ने कैंसर से जंग जीत ली। अब वो अपने वेतन का एक-चौथाई हिस्सा कैंसर के मरीजों के इलाज में दे रहे हैं।
अब बात करते हैं. लखनऊ के 45 वर्षीय श्यामनारायण की। श्यामनारायण लखनऊ के डालीगंज में रहने वाले हैं। श्यामनारायण को दो साल पहले ओरल कैंसर हुआ था श्यामनारायण को उनके परिवारिक डॉक्टर ने देखते ही कैंसर की पुष्टि की और उनकी राय पर केजीएमयू में इलाज शुरू किया। शुरुआती स्टेज होने के कारण दवाओं से कंट्रोल हो गया। अब वो निजी कंपनी में काम कर रहे हैं और परिवार की जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।
आखिरी में बात करते हैं गाजियाबाद में रहने वाली 65 वर्षीय महिला बफी देवी की। जो करीब 11साल से कैंसर से पीड़ित हैं। 2007 में उन्हें बच्चेदानी में कैंसर हुआ था। वे कैंसर के थर्ड स्टेज पर आ गई थी। जिसक बाद डॉक्टरों ने उनके बचने की उम्मीद कम बताई थी। यह सुनने के बाद परिवार के सदस्यों ने हिम्मत नहीं हारी। केजीएमयू के रेडियोथैरपी विभाग के डॉक्टर को बफी देवी को दिखाया, जिसके बाद ऑपरेशन में डॉक्टर ने बच्चेदानी निकाल दी। दो साल तक की कीमोथैरेपी से अब बफी देवी पूरी तरह से ठीक हैं।
उत्तर प्रदेश में लगभग एक लाख मरीज कैंसर से पीड़ित हैं। इसमें ब्रेस्ट, चेस्ट, बच्चेदानी, ओरल कैंसर से पीड़ित मरीज ज्यादा हैं। कैंसर होने पर लोगो को हिम्मत नही हारनी चाहिए, और कैंसर जैसी बिमारी का सामना करना चाहिए।
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