वॉयस प्रोस्थेसीस उपकरण से सिर्फ 50 रूपयें में ठीक होगा गले का कैंसर

डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता हैं। जैसे परेशानी के समय सब भगवान को याद करते हैं वैसे ही जब भी हम किसी फिजिकली या मैंटली तौर पर परेशानी में होते हैं तो हम सभी डॉक्टर के पास जाते हैं। और आज के वक्त में जब बिमारियों के साथ-साथ महंगाई भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। तो आम आदमी के लिए कैंसर जैसी बड़ी बिमारी के इलाज का खर्च उठाना कितना मुश्किल होगा।
ऐसे में बेंगलूरू के रहने वाले डॉक्टर विशाल राव ने एक ऐसे यंत्र की खोज की हैं, जिससे गले के कैंसर पीड़ित लोग सर्जरी के बाद भी ठीक से बोल सकते हैं। लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये हैं कि, इस यंत्र की कीमत सिर्फ 50 रूपये हैं…
इस यंत्र की खोज करने वाले डॉ. विशाल राव एक ओंकोलोजिस्ट हैं और बंगलूरू में हेल्थ केयर ग्लोबल कैंसर सेंटर में सिर और गले की बीमारियों के सर्जन हैं। इसी के साथ आपको ये भी बता दें कि, आमतौर पर गले के प्रोस्थेसीस की कीमत 15-30 हज़ार होती है, जिसे हर 6 महीने मे बदलना पड़ता है। लेकिन डॉ. विशाल राव ने अपनी सूझ-बूझ से ऐसे यन्त्र की खोज की है, जिसकी कीमत मात्र 50 रुपए है।
इस यंत्र का नाम हैं, वॉयस प्रोस्थेसीस उपकरण… वॉयस प्रोस्थेसीस उपकरण सिलिकॉन से बना है। जब मरीज़ का पूरा वोइस बॉक्स निकाला जाता है, तब ये यंत्र उन्हें बोलने में मदद करता है। सर्जरी के समय या उसके बाद वाइंड पाइप और फूड पाइप को अलग करके थोड़ी जगह बनायी जाती है। और इस यंत्र को वहां लगाया जाता है। डॉक्टर राव ने बताया कि lungs से आनेवाली हवा से वॉयस बॉक्स में तरंगे उत्सर्जित होती है। प्रोस्थेसीस की मदद से फ़ूड पाइप में वाइब्रेशन पैदा होती है, जिससे बोलने में मदद मिलती है।
डॉक्टर विशाल राव का कहना है कि अगर आप फ़ूड-पाइप की मदद से फेफड़ों में ऑक्सीजन भर दे, तो वहां कंपन और आवाज़ पैदा करके, दिमाग उसे संदेश में परिवर्तित करता है। यंत्र एक साइड से बंद होता है, जिससे अन्न या पानी फेफड़ों में नहीं फैलता। इस यंत्र की लम्बाई 2.5 cm है, और वजन 25 ग्राम है। डॉ. राव ने कर्नाटक के एक मरीज जो अर्थिक रुप से कमजोर था, उसे देखते हुए इस सस्ते यन्त्र की खोज करने का सोचा। डॉक्टर राव और शशांक जो कि उनके दोस्त और एक उद्योगपति थे। दोनो ने एक दूसरे की मदद से इस यंत्र का अविष्कार करने में सफलता हासिल की।
आवाज हर इन्सान का गहना होती है गले के कैंसर की वजह से कोई मरीज़ सिर्फ इसलिये अपनी आवज़ ना खो सके क्यों की वो गरीब है, डॉक्टर विशाल राव ने इस यन्त्र की खोज कर के गरीबों के जीवन मे एक नई उमंग भर दी है।
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