October 1, 2023

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मुंबई की धाराबी झुग्गियों से निकला देश के मशहूर धारावी रॉक्स बैंड

धारावी रॉक्स
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क्या आपने सोचा हैं की जब हम घरों से बाहर निकलते हैं कुछ खाते पीते हैं तो उसका कुड़ा सड़क पर फेक देते हैं… उस कुड़े को वहां से हटा कर सड़क को साफ कौन करता होगा… या फिर कभी आप परेशान हो जाते हैं तो आप क्या करते हैं… आप जाकर सुमंद्र या एक शांत जगह बैठ जाते हैं… और कुछ कोल्डिंग या जुस खरीद लेते हैं और फिर उसका कुड़ भी वही फैक देते है…. लेकिन जब आप अगली बार फिर उसी जगह बैठते हैं तो क्या आपको वो कुड़ा वही मिलता हैं …. नही…. आपको वो कुड़ा वहां नही मिलता हैं वो जगह एक दम साफ हो जाती हैं… लेकिन उस जगह को साफ कौन करता हैं…. हमारे कौन का जबाव आप अच्छे से जानते हैं…. सिप्ल सी बात है वो कुड़ा और गंदगी को कचरे वाले साफ कर देते हैं….

अच्छा कचरे वाले से याद आया की आपको पता हैं सबसे बड़ी कचरे वालो झुग्गियां कहां हैं…. अगर नही पता तो हम बताते हैं… मुंबई के धारावी के बारे में कभी सुना है…. ??? ‘धारावी’ – भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी है… धारावी का सुनते ही सामने उभर आती है भूख, गरीबी, दम घोंटने वाली छोटी-छोटी तंग गलियां, गन्दगी, बदबू और हर वो बात जिससे आप दूर रहना चाहेंगे…. पर अगर हम आपको यह बताए की उसी धारावी से भारत का एक मशहूर बेंड निकता हैं तो…. और उस बेंड में कोई संगीत से जुड़ी चीज़े नही हैं… बल्कि आप जो पानी की बड़ी बड़ी बोतले जिसमे मुंबई वाले पानी जमा करके रखते है, प्लास्टिक की भर्निया, कांच की बोतले, बोतलों के ढक्कन और भी कई फ़ालतू चीज़े जिन्हें आप हम कचरा समझ कर फेंक देते है, उनमे से ये बच्चे संगीत पैदा करते है।

रह गए ना हैरान…. यह बच्चें अपनी जिंदगी की जंग अपने आप लड़ रहे हैं…. इस बेंड का नाम धरावी रॉक्स हैं… ये धरावी रॉक्स बैंड आज के समय में कई लोगों के बीच पहुंच चुका हैं… शायद यह इन बच्चों ने भी नही सोचा होगा की उनकों कभी लोगों के बीच जाकर इतना प्यार मिलेगा… बता दे की धारावी में करीबन 1 लाख कचरा बीनने वाले रहते है, जिनमे से अधिकतर बच्चे है… यदि मुंबई की सफाई का श्रेय किसी को जाता है तो वो इन्ही कचरा बीनने वालो को जाता है… ये लोग बेहद जोखिम भरे तथा गंदे वातावरण में काम करते है, पर फिर भी इनकी देख रेख के लिए कोई भी कानून नहीं बना है…

धारावी रॉक्स को शुरु करने के पीछे वकील, श्री. विनोद शेट्टी का हाथ भी हैं… विनोद ने एक बार इन बच्चों को देखा इन्होंने इन बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी… उन्होंने इनकी बेहतरी की तरफ काम करने के लिए सन 2005 में ‘एकोर्न फाउंडेशन’ नामक संस्था की शुरुआत की….

इन कचरा बीनने वाले बच्चो का जीवन बेहद कठोर होता है…. सारा दिन गंदगी में से कचरा बीनना, उन्हें अपने ही झोपड़े में लाकर चुनना और फिर जैसे तैसे अपना पेट भरना- बस यही उनका जीवन है… इन बच्चो का बचपन, उनकी गरीबी की बिमारी की वजह से अक्सर दम तोड़ देता है… विनोद सिर्फ इनके स्वास्थ्य और बाकी अधिकारों के लिए ही नहीं बल्कि इनके कठोर जीवन में थोड़ी सी मिठास लाने के लिए भी कुछ करना चाहते थे…

इसी सोच की नींव पर शुरुआत हुई, थिरकते, गुनगुनाते संगीत से भरे बैंड, धारावी रॉक्स की.. पर ये कोई आम संगीत उपकरणों की मदद और संगीतकारों से भरा बैंड नहीं था… इस बैंड के संगीत उपकरण थे- कचरा बीनने वाले इन बच्चो का लाया हुआ कचरा… और इनके गायक और संगीतकार थे- खुद ये बच्चे….

आज ये बच्चें अपने आप को खुश नसीब मानते हैं…. की इस बैंड के जरिये वो कई लोगों से जुड़े …. वरना उनका हाल तो पहले ऐसा था की वो सड़क पर दो वक्त की रोटी के लिए निकते थे तेज धूप हो सर्दी भरा दिन यह बच्चें सड़कों पर मारे मारे फिरते हैं…. और फिर थक कर वही सड़कों पर ही सो जाते थे…

बता दे की इनमें से कई बच्चें नशे के शिकार थे… तो कुछ चोरियां करते थे.. या फिर घर से भागे हुए थे… पर यह बच्चें भी तो बच्चे है… यह भी खेलना चाहते थे उड़ना चाहते थे… लाइफ में कुछ करना चाहते थे… लेकिन कही ना कही अपनी इस जिंदगी में हरने लगे थे… लेकिन कहते हैं… कोई कभी ऐसा जरुर आता हैं जो हमारी जिंदगी को बदल सकता हैं… बस हमें उसके ऊपर भरोसा करना पड़ता हैं… और विनोद के ऊपर इन बच्चों ने भरोसा किया भी…. और धारावी रॉक्स ने इन बच्चों की जिंदगी को बदल कर रख दिया….

धारावी रॉक्स की शुरुआत धारावी के ही एक छोटे से झुग्गी-नुमा कमरे से हुई… शुरू में बहुत कम बच्चे आये और उन्होंने गाना बजाना शुरू किया…. पर उनके संगीत की आवाज़ सुनकर धीरे धीरे और बच्चे भी उस कमरे का रुख करने लगे…. और आज धारावी रॉक्स में 8 से 18 साल के बीच के करीबन 20 से 25 बच्चे है…. ये बच्चे अपने दिन भर का कचरा बीनने का, या मजदूरी का काम ख़त्म करके सीधे संगीत से भारे इस छोटे से कमरे में भागे चले आते है, जहां पर इनके सारे दिन की थकान मिनटों में मिट जाती है।

इन बच्चो ने अपना संगीत ही नहीं बल्कि संगीत उपकरण भी खुद ही बनाया… इनके कुछ-कुछ आविष्कार जैसे की चावल के दानो से भरा हुआ कैन बहुत लोकप्रिय है…

धीरे-धीरे कचरे के ढेर से संगीत चुनकर निकालने वाले इन बच्चो ने मुंबई वासियों का दिल जीत लिया… और इन्ही में से एक थे मुंबई के रहने वाले युवा संगीतकार, अभिजीत जेजुरिकर जो इन बच्चो तथा विनोद के काम से इतने प्रभावित हुए कि इन्ही के साथ जुड़ गए तथा इन बच्चो को संगीत सिखाने लगे… जल्द ही इन बच्चो की बैंड ने मंच पर भी अपना सिक्का जमा लिया… इस बैंड के ज़रिये ये बच्चे सिर्फ संगीत ही नहीं फैला रहे बल्कि कचरे को रीसायकल करके दुबारा इस्तेमाल करने की भी जागरूकता फैला रहे है।

ये बच्चे कई सुपरसटार जैसे सलमान खान, शाहरुख़ खान, कटरीना कैफ से मिल चुके हैं… और आज इस बैड को कई लोग जानते हैं….. इन बच्चों ने शायद कभी नही सोचा था की उनकों ऐसी जिंदगी भी कभी मिलेगी… यह बच्चे विंनोद शेट्टी और उनके द्वारा शुरु की गई संस्था का शुक्रीयादा करते हैं

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