बच्चों के भविष्य के लिए ड्राइवर बने टीचर राजाराम

बच्चों को सही गतल की पहचान माता पिता करवाते हैं, और जीवन में सफलता पाने के बारे टीचर बताते हैं। बच्चों के सफल होने के पीछें सबसे बड़ा हाथ एक टीचर का होता हैं। बच्चों के जीवन में टीचर एक एहम भूमिका निभाते हैं। हम भी आपकों टीचर राजाराम के बारे में बता रहें हैं। जिन्होंने बच्चों के भविष्य के लिए ड्राइवर बनने का काम भी कर डाला।
यह टीचर कर्नाटक के उडूपि जिले के बाराली गांव के बाराली सरकारी स्कूल के हैं। इनका नाम टीचर राजाराम हैं। टीचर राजाराम के साथ-साथ ड्राइवर की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वो ड्राइवर का काम इसलिए कर रहा हैं ताकी छात्रों को दूर होने के कारण स्कूल न छोड़ना पड़े। कई माता-पिता बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते क्योंकि वहां बस ट्रासपोर्ट की सुविधा नहीं होती है. ऐसे में वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए भेज देते हैं. टीचर राजाराम को तो इस दिक्कत का हल निकालना था तो उन्होंने ड्राइवर टीचर दोनो का काम करना शुरु कर दिया।
राजाराम ने पुराने छात्रों से मदद लेकर बस खरीदी. स्कूल को ड्राइवर को कम से कम 7 हजार रुपये देने पड़ते, जो स्कूल नहीं दे सकता था. इसलिए उन्होंने खुद ड्राइव करने का सोचा और डाइविंग का काम शुरू कर दिया. इस स्कूल में सिर्फ 4 ही टीचर हैं. उन्होंने कहा- मेरा घर स्कूल से काफी करीब है. इसलिए मैने सोचा कि ये जिम्मेदारी मुझे ही उठानी चाहिए. इसलिए मैं मिनी बस चलाता हूं. बच्चों की सेफ्टी भी सबसे ज्यादा जरूरी है।
बच्चों के माता पिता को जब पता चला की स्कूल में बस की सुविधा शुरु हो गई हैं तो उन्होंने अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजना शुरु कर दिया। बस की सुविधा के बाद बच्चों की संख्या 50 से 90 हो गई है राजाराम ड्राइवर के साथ टीचर भी हैं हम यह कैसे भूल सकते हैं। बच्चों को बस से स्कूल लाने के बाद वे गणित और विज्ञान भी पढ़ाते हैं।
बता दें, स्कूल दूर होने की वजह से और खराब रोड के कारण कुछ बच्चों ने तो स्कूल तक आना बंद कर दिया था. बच्चों को रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल आना पड़ता था. दिन-ब-दिन बच्चे कम होते जा रहे थे अगर ऐसे ही चलता रहता तो स्कूल को बंद करना पड़ सकता था। ऐसे में टीचर रामराजा की सोच काम आई और उन्होंने टीचर ड्राइवर बनने के बारे में सोच लिया। राजाराम स्कूल के बच्चों के सबसे चहीते टीचर हैं. वो गणित, विज्ञान के साथ-साथ पीटी टीचर भी हैं. वो जब स्कूल से छुट्टी लेकर भी जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि बच्चे स्कूल टाइम पर पहुंच रहे हैं या नहीं.
टीचर ड्राइवर राजाराम ने बच्चों के भविष्य के लिए हर वो कोशिश की जो वे कर सकते थे। और उनकी मेहन्नत रंग भी लाई। आज बाराली सरकारी स्कूल एक बार फिर बच्चों से भर गया।
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