“नघा लाउ दावर” देश की पहली ऐसी दुकान जहां ना हैं सीसीटीवी कैमरा और ना ही हैं दुकानदार

आप सब्जी खरीदने जाते हैं जहां आपको दुकान पर बहुत सारी सब्जी नजर आती होगी और साथ ही नजर आते होगे सब्जी बेचने वाले भईया जो आपको तो सब्जी दे ही रहें होगे साथ में और लोगों की सब्जी में बंध रहे होगे या फिर आप कही ऐसी दुकान में जाते होगे जहां पर सब्जियां रखी होती हैं आपको जो चाहिए होता वो आप उठा लाते हैं और आखिर में उसके पैसे दुकानदार को देते हैं और साथ ही आप उस दुकान में देखेंगे तो आपको कई सारे सीसीटीवी कैमेरा नजर आ जाएगे क्योंकि आज के समय पर लोगों को पर भरोसा नही किया जा सकता हैं कई लोग तो ऐसे होते हैं जो नाक के नीचे से चुरी करके भाग जाते हैं. ऐसे लोगों से तो बचने के लिए सीसीटीवी कैमरा तो लगना ही पड़ता हैं. क्योंकी किसी पर भरोसे का तो जमाना ही नही हैं.लेकिन हम आपको एक ऐसी दुकान के बारे में बताए जहां ना तो सीसीटीवी कैमरो हो और ना ही दुकानदार हो. और उस दुकान में चोरी भी ना हो तो. आप हम पर यकिन करेंगे नही करेंगे तो अब आपको हम पर यकिन तो करना पड़ेगा. क्योंकि भारत में ही ऐसा राज्य हैं जहां ये दुकान चल रही हैं.
भारत का ही राज्य मिजोरम हैं यह राज्य जितना सुदंर हैं उतने ही सुंदर और अच्छें हैं यहां के लोग. अगर आपको लगता हैं की इस दुनिंया में कोई ऐसा व्यक्ति नही हैं जिस पर भरोसा कर सके तो आप गलत हैं. क्योंकि मजोरम के लोग कई ज्यादा भरोसालायक लोग हैं. आप सोच रहें होगे कैसे हम इतने यकिन से यह कह सकते हैं तो आईए आपको बताते हैं.
दरअसल मिजोरम की राजधानी हैं ऐजवल. ऐजवल से करीब 65 किमी की दूरी एक हाईवे हैं. हाईवे पर एक दुकान हैं. जिसका नाम “नघा लाउ दावर” हैं. यह दुकान जो नया व्यक्ति देखेंगा वो हैरान रह जाएगा. अब आप सोच रहें होगें क्यों. तो आपके क्यों का जवाब हम पहले भी बता चुके हैं. यह वोही दुकान हैं जिसके बारे में हम बात कर रहें थे. याद आया वोही बिना दुकानदार वाली दुकान.
इस दुकान को वहां के किसान लागते हैं. वो लोग इस दुकान में अपना समान रख देते हैं और साथ ही कोयले या चौक से वहां इस समान का दम लिख देते हैं. लोगों को जो समान चाहिए होता हैं वो इस दुकान से लेते हैं और उस समान के जितने पैसे हुए. उतने पैसे वहीं बने एक बॉक्स में रख देते हैं. इस दुकान में फल, सब्जियों, फलों के रस, छोटी मछलियों, आदि चीज़े आसानी से मिल जाती हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात तो यह हैं की इस दुकान मे आज तक चोरी नही हुई ना आज तक इस दुकान में कोई दुकानदार बैठा और ना ही को सीसीटीवी कैमरा नही लगा.
इस दुकान को वो किसान लगते हैं जिनके पास समय नही होता. इन किसानो को अपना घर चलाने के लिए पुरे साल झूम खेती भी करनी पड़ती है झूम की खेती मतलब जगह जगह किये गए छोटी छोटी खेती करनी पड़ती हैं. ऐसे में न तो वो खुद इन दुकानों पर बैठ सकते हैं और न ही किसी को वहां बैठने के लिए रख सकते हैं. क्योंकि जो भी दूकान पर बैठेगा किसान को उसको पैसे देने पड़ेंगे… जिसे वो दे नही सकते. यह दुकान भरोसे पर चलती हैं.
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