नाबार्ड के सर्वे के मुताबिक, देश में बढ़ी 37 फीसदी किसानों की आय

नाबार्ड के सर्वे के मुताबिक, देश में बढ़ी 37 फीसदी किसानों की आय
देश के राष्ट्रीय कृषि एवं नाबार्ड के एक सर्वे के मुताबिक, पिछले कुछ समय में देश के किसानों की आय में 37 फीसदी का इजाफा हुआ है. नाबार्ड के सर्वे में ने बताया कि साल 2012-13 से 2015-16 तक देश के किसानों की आय में ये इजाफा देखने को मिला है. नाबार्ड ने किसानों की आय का ये सर्वे, हर तीसरे साल होने वाले अखिल भारतीय समावेश सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) के आधार पर किया है. जिसमें उसने कहा कि साल 2012-13 में किसानों की औसत वार्षिक आय 77,977 रुपए थी जबकि साल 2015-16 में 1,07,172 हो गई. जिससे किसानों की आय में 37.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
नाबार्ड के सर्वे के आधार पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी उम्मीद जताते हुए कहा है कि, सरकार की नीतियों के आधार पर किसानों के आय में इजाफा हुआ है. उम्मीद है की साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा.
एक और सर्वे के आधार पर साल 2015-16 में ग्रामीण परिवार की औसत मासिक आय लगभग 8,059 रुपए दर्ज की गई थी. जबकि परिवारों की मासिक औसतन खर्च लगभग 6,646 दर्ज किया गया था. इस लिहाज से अगर बात करें तो ग्रामीण परिवारों की मासिक बचत 1,413 रुपए होती है. वहीं देश के समृद्ध राज्य पंजाब के किसानों की मासिक आय 23,133, हरियाणा की किसानों की मासिक आय 18,496 और केरल में रहने वाले किसानों की मासिक आय 16,927 रुपए है. जबकि देश में सबसे पिछड़ा किसान उत्तर प्रदेश में है. जहां किसानों की मासिक आय लगभग 6,668 रुपए है. वहीं अगर देश के सबसे महंगे राज्य की बात करें तो, सर्वे के मुताबिक आंध्र प्रदेश के किसान अपनी आमदनी की तुलना में केवल 95 रुपए ही बचा पाते हैं. बिहार के किसान 242 रुपए, यू पी के किसान 315 रुपए बचा पाते हैं.
सर्वे के मुताबिक देश में औसतन 88.1 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीणों के खुले हैं. हालांकि इन खातों के 24 प्रतिशत लोग तीन महीने महज एक बार एटीएम कार्ड का उपयोग करते हैं. हमारे देश में 55 प्रतिशत किसानों परिवारों के पास बचत खाता है. जिसमें परिवारों की औसत बचत आय करीब 17,488 रुपए है. इसके अलावा सर्वे के मुताबिक करीब 26 प्रतिशत किसान परिवार और गैर-कृषि क्षेत्र के लगभग 25 प्रतिशत परिवार बीमा के दायरे में आते हैं. जबकि लगभग 20.1 प्रतिशत किसान परिवार पेंशन की योजना का लाभ ले रहे हैं. वहीं 18.9 प्रतिशत गैर-कृषक परिवार पेंशन योजना का लाभ ले रहे हैं. नाबार्ड द्वारा किया गया ये सर्वे किसानों की परिसंपत्ति के आधार पर केंद्रित है. इसमें किसानों की उत्पादन, खपत और घरेलू खर्च, कर्ज, बीमा, पेंशन और सभी वित्तीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया था. बैंकों में ग्रामीणों के 88.1 प्रतिशत बैंक खाते हैं. जिनमें सर्वे के मुताबिक 52.5 फीसद किसान, जबकि गैर कृषि वाले 42.8 फीसदी किसान बैंकों के कर्जदार हैं. जिस पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना था कि, “देश में किसानों की आय में बढोत्तरी हो रही है, किसानों की औसत जमीन की जोत में आये दिन कमी हो रही है. लेकिन किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो रही है, जो ये बताती है कि देश में गरीबी कम हो रही है. उन्होनें कहा कि, अगर वैल्यू चेन विकसित की जाए और किसानों को मार्केटिंग की सुविधाएं मुहैया कराई जाये तो निश्चित ही किसानों की आय में और भी बढ़ोतरी हो सकती है. जिससे 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करना मुमकिन हो सकेगा.”
नाबार्ड के सर्वे में ये भी बताया गया है कि, आज देश में अभी भी 48 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पूरी तहर खेती पर निर्भर हैं. हालांकि इस सर्वे में ये भी बताया गया है कि, देश में केवल 12.7 प्रतिशत किसान परिवार ही एक स्त्रोत पर निर्भर थे. जबकि बाकी परिवार आय के दूसरे स्त्रोतों पर भी निर्भर थे. जबकि अगर बात गांव के किसानों की करें तो गांव में रहने वाले लगभग 79.4 फीसदी किसान एक ही स्त्रोत पर निर्भर थे. इन किसानों की आमदनी का 35 प्रतिशत हिस्सा खेती से जबकि 34 फीसदी हिस्सा मजदूरी से आता था.
जबकि किसानों के आय के दूसरे स्त्रोंतों की अगर बात करें तो, सरकारी/निजी सेवाएं (16%), पशुपालन (8%) दूसरी गतिविधियां से (7%) किसानों की आय में शामिल है. सर्वे के अनुसार, प्रतिमाह 7269 रुपए कमाने वाले गैर किसान परिवार से कृषक परिवार की आमदनी 23 प्रतिशत अधिक (8,931 रुपए) थी. हालांकि इस सर्वे में ये भी बताया गया है कि किसान परिवार 52.5 फीसदी बैंकों के कर्जदार थे. जबकि 42.8 प्रतिशत गैर कृषक परिवार बैंकों के कर्जदार थे.
नाबार्ड के इस सर्वे में देश के 29 राज्यों के 40,327 किसान परिवार और गैर किसान परिवारों के 1.88 लाख लोगों को शामिल किया गया था. हालांकि इस सर्वे के आने के बाद से किसान मामलों के जानकारों ने इस सर्वे पर सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं. क्योंकि साल 2012-13 में किसान के आंकड़े एनएसएसओ या नेशनल सैंपल सर्वे में एकत्र किये गए थे. इस दौरान कृषक परिवार की औसतन आमदनी 3000 रुपए तक थी. वहीं साल 2015-16 में किसानों की आमदनी 5000 दर्ज की गई है.
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