History of 8th May- 1828 में पहला शांति नोबेल पाने वाले जीन हेनरी का जन्म हुआ

History of 8th May-
आज ही के दिन साल 1828 में पहला शांति नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति जीन हेनरी डयूनेन्ट का जन्म हुआ था. आपको बता दें की जीन हेनरी डयूनेन्ट ने ही रेडक्रास सोसाइटी की स्थापना की थी, इसके अलावा उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया और पूरे विश्व के लोगों को मानवतावादी सेवक के रूप में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया था. जिसके चलते साल 1901 में इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
आज ही के दिन साल 1886 में पहली बार डॉक्टर जॉन पेम्बेरटन द्वारा बनाए गए पेय पदार्थ कोल्ड-ड्रिंक कोकाकोला का उत्पादन शुरू किया गया था. आपको बता दें की शुरुवाती समय में कोका कोला का इस्तेमाल टॉनिक के तौर पर साथ ही दिमाग को शांत करने के लिए किया जाता था.
आज ही के दिन साल 1901 में आस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी की स्थापना की गई थी. आपको बता दें की ऑस्ट्रेलिया लेबर पार्टी ऑस्ट्रेलिया की प्रमुक केंद्र-वाम राजनीतिक पार्टी है साथ ही ये पार्टी ऑस्ट्रेलिया की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है.
आज ही के दिन साल 1915 में भारत के स्वतंत्रता सेनानी अमीर चन्द को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. आपको बता दें की अमीर चन्द साल 1912 में दिल्ली में उस समय के वापसरोय लार्ड हार्डिग पर बम फेंकने की घटना में सक्रिय भूमिका निभाई थी. जिसके बाद उन्हें साल 1914 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर साल 1915 में उनके तीन साथी अवध बिहारी, बाल मुकुंद, बसन्त कुमार बिस्वास के साथ दिल्ली केंद्रीय जेल में फांसी दे दी गई थी.
आज ही के दिन साल 1963 में भारत में पहली बार रेडक्रास सोसायटी का शताब्दी समारोह मनाया गया था. आपको बता दें की रेडक्रास सोसायटी एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जोकि रोगियों, घायलों और युद्धकालीन बंदियों की देखरेख करने के लिए काम करता है. हालांकि रेडक्रास सोसायटी का भारत में गठन साल 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तरत किया गया था, तब से लेकर अब तक ये संगठन भारत में लगातार काम कर रहा है.
आज ही के दिन साल 1980 में वर्ल्ड हेल्थ आॉर्ग्नाइजेशन ने स्मॉल पॉक्स के खत्म होने की अधिकारिक घोषणा की थी. आपको बता दें की स्मॉल पॉक्स वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस से फैलनेवाली एक संक्रामक बीमारी है जोकि काफी संक्रामक रुप से फैलती है. स्मॉल पॉक्स को लोग छोटी माता के नाम से भी जानते हैं.
8 मई 1993 में आज ही के दिन भारत के महान साहित्कार देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने दुनिया को अलविदा कहा था. आपको बता दें की देवीप्रसाद भारत के गणमान्य मार्क्सवादी दार्शिक और इतिहासकार भी थे. उन्होंने भारत के प्राचीन भारतीय दर्शन में भौतिकवादी संस्कृति के अनुसंधान में अहम योगदान दिया था.
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