History of 5th May-1818 जर्मन अर्थशास्त्री कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ

History of 5th May-1818 जर्मन अर्थशास्त्री कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ
History of 5th May-
1. आज ही के दिन गुरु अमरदास जी का जन्म साल 1479 में हुआ था। गुरु अंगद जी ने अमरदास साहिब को सन् 1552 में तीसरे गुरु की उपाधि सौंपी। सिख धर्म में लंगर की परंपरा की शुरुआत गुरु अमरदास जी ने ही की थी। मुगल काल में इनका बहुत अधिक महत्व था। कहा जाता है कि अकबर खुद इनसे कई मुद्दों पर सलाह लेते थे। समाज से भेदभाव खत्म करने के प्रयासों में सिखों के तीसरे गुरु श्री अमरदास जी का बड़ा योगदान हैसिख धर्म के दस गुरुओं में गुरु अमरदास का तीसरा स्थान है।
2. आज ही के दिन साल 1818 में महान विचारक, इतिहासकार और जाने माने जर्मन अर्थशास्त्री कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ था। दुनिया को उन्होंने जो विज्ञान प्रदान किया था वह आज तक बहुत ही सजीव रूप में हमें प्रेरित करता है। मार्क्सवाद जिंदा है क्योंकि वह एक ऐसा विज्ञान है जो तत्कालीन घटनाओं के विश्लेषण के आधार पर मजदूर वर्ग और उसकी हिरावल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यों को मार्गदर्शित करता है। मार्क्स ने 1848 में फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो को लिखा था, जो मजदूर वर्ग का सर्वप्रथम राजनीतिक घोषणा पत्र है और सभी देशों के मजदूरों को आज तक प्रेरित करता है। “दुनिया के मजदूरों एक हो! श्रमजीवियों के पास अपनी जंजीरों के सिवाय कुछ और खोने को नहीं है। हमारे पास जीतने के लिए पूरी दुनिया है” , ये नारे सारी दुनिया के मजदूर वर्ग आंदोलन में आज भी गूंजते हैं। कार्ल मार्क्स के इन विचारो ने लोगो के मन में काफी प्रभाव डाला और इसका परिणाम हमें विकास के रूप में दिखाई देने लगा।
3. आज ही के दिन 1821 में चर्च के वर्चस्व को ढहाने और यूरोप को विज्ञान और बहुसंस्कृति की तरफ से मोड़ने वाले नेपोलियन ने दुनिया को अलविदा कहा दिया था। नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 में फ्रांस के अजैक्यिो शहर में हुआ था। इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उन्होंने एक फ्रांस में नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक थे। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उन्होंने 1812 में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुंची। नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। अधिकांश इतिहासकार ये मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। ‘वॉटरलू की लड़ाई‘ में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में ‘सेन्ट हैलेना द्वीप‘ निर्वासित कर दिया गया था, जहां 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन सन 2001 में फ़्रांसीसी विशेषज्ञों ने नेपोलियन के बाल का परीक्षण करके पाया कि उसमें ‘आर्सनिक‘ नामक ज़हर था। यह माना जाता है कि संभवत सेन्ट हैलेना के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने फ़्रांस के काउंट के साथ मिलकर नेपोलियन की हत्या की साज़िश रची थी
4. आज ही के दिन साल 1883 में सुरेंद्र नाथ बनर्जी जेल जाने वाले पहले पत्रकार बने। दरअसल सर सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ब्रिटिश राज के दौरान प्रारंभिक दौर के कद्दावर राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की, जो प्रारंभिक दौर के राजनीतिक संगठनों में से एक था और बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बन गए। वह राष्ट्रगुरु के नाम से भी जाने जाते थे, जो उन्हें उपाधि के रूप में दी गई थी। जून 1875 में भारत लौटने के बाद, वह मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन, फ्री चर्च इंस्टीट्यूशन और रिपन कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर बन गए, जिसकी स्थापना 1882 में उनके द्वारा की गई थी। उन्होंने आनन्दमोहन बोस के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना 26 जुलाई 1876 को की, जो अपनी तरह का पहला भारतीय राजनीतिक संगठन था। 1879 में, उन्होंने द बंगाली समाचार पत्र आरम्भ किया। 1883 में बैनर्जी अपने समाचार पत्र में अदालत की अवमानना पर टिप्पणी प्रकाशित करने के कारण गिरफ्तार हुए थे।
6. आज ही के दिन साल 1944 में महात्मा गांधी जेल से रिहा हुए थे। दरअसल 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ एक बार फिर तीव्र आंदोलन छेड़ दिया. ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों‘ नारे के साथ गांधी ने ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया. भारतीय युवाओं के जोश को गांधी ने “करो या मरो” के क्रांतिकारी नारे से परवान चढ़ा दिया था. देश का बच्चा- बच्चा अब अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे को गीत की तरह गाने लगा था. गांधी के इस आंदोलन के चढ़ते परवान को फिरंगियों ने भांप लिया और उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें पुणे के आगा खान पैलेस जेल में बंद किया गया. गांधी इस बार जेल से 5 मई 1944 को निकले तब तक यह बहुत साफ हो गया था कि भारत में ब्रिटिश शासन अब महज कुछ दिनों की मेहमान है.
7. आज ही के दिन साल 2005 में ब्रिटेन में लेबर पार्टी के नेता टोनी ब्लेयर तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. टोनी ब्लेयर ने विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान राजनीति में रुचि लेनी शुरु कर दी थी। किसी के लिए भी इससे अधिक खुशनसीबी क्या हो सकती है कि उसे जन्मदिन के तोहफे के रूप में चुनावी जीत मिले। टोनी ब्लेयर ऐसे ही खुशनसीब इंसान बन गए हैं। अपने 52वें जन्मदिन पर उन्हें लगातार तीसरी बार ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य मिला है।
8. आज ही के दिन साल 2006 में भारतीय संगीत के श्रेष्ठ म्यूजिक डायरेक्टरों में गिने जाने वाले नौशाद अली ने देश को अलविदा कह दिया। नौशाद जी का संगीत आज भी काफी पॉपुलर हैं। नौशाद अली का जन्म 26 दिसंबर 1919 को नवाबों के शहर लखनऊ में हुआ. उनके पिता का नाम वाहिद अली था. नौशाद ने भारतीय संगीत की तालीम उस्ताद गुरबत अली, उस्ताद यूसुफ अली, उस्ताद बब्बन साहेब से ली. एक वक्त था जब नौशाद हारमोनियम ठीक करने का काम करते थे.
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