History of 1st September-दूसरे विश्व युद्ध की शुरूवात

History of 1st September-दूसरे विश्व युद्ध की शुरूवात
History of 1st September-
01 सितम्बर को वैसे तो इतिहास में कई सारी घटनाएं घटी होंगी पर कुछ घटनाएं तब के वर्तमान पर फर्क डालती हैं, तो कुछ भविष्य को सदियों तक प्रभावित करती हैं। कुछ घटनाओं ने उस वक़्त लोगों को हिला कर रख दिया तो कुछ इतिहास की घटनाओं ने आने वाली पीढ़ी को गहराई से या तो प्रेरित किया या फिर प्रभावित किया।
1 सितंबर का दिन कई मायनों में खास है. साल 1939 में जहां आज ही के दिन द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ था वहीं, आज ही के दिन 1933 में एक ऐसे कवि का जन्म हुआ था जिसकी लेखनी आज भी युवाओं के दिलों में गूंजती है और बुजुर्गों की जबानों पर बसती है। जी हां, हम दुष्यंत कुमार की बात कर रहे हैं जिन्होंने कहा था, ‘तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूं… 1 सितम्बर, 1933 एक हिंदी कवि और ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार का जन्म हुआ था। उन्हें भारत के प्रथम हिंदी गजल लेखक के रूप में जाना जाता है। उनका नाम 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण हिन्दुस्तानी कवियों में से एक के रूप में जाना जाता है।
आज ही के दिन 1574 में सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास का निधन हुआ था। सिख धर्म के दस गुरुओं में गुरु अमरदास का तीसरा स्थान है। अमरनाथ सिक्खों के तीसरे गुरु थे, जो 73 वर्ष की उम्र में गुरु नियुक्त हुए। वो 26 मार्च, 1552 से 1 सितम्बर, 1574 तक गुरु के पद पर आसीन रहे। लोग उन्हें भक्त अमरदास जी कहकर पुकारते थे। उन्होंने 21 बार हरिद्वार की पैदल फेरी लगाई थी। 26 मार्च, 1552 को अमरदास को सिख गुरु के खिताब से भी नवाजा गया था।
पुराने समय में कई विदेशी विद्वान् भारत आये और यहां की भाषा और संस्कृति से काफी प्रभावित हुए। जिनमें कई चीनी, अरबी, फारसी और यूरोपीय यात्री शामिल हैं। ऐसे ही एक यात्री थे फादर कामिल बुल्के, जो भारत आए तो फिर बस यहीं के हो गए और हिन्दी के लिए वो काम कर गए, जो शायद कोई हिन्दुस्तानी भी नहीं कर सकता था। आज ही के दिन 1909 में प्रसिद्ध साहित्यकार फादर कामिल बुल्के का जन्म हुआ था। फादर कामिल यूं तो लूबेन विश्वविद्यालय से पढ़े हुए थे। मगर 1935 में वो भारत आए और दार्जिलिंग में अध्यापक के रूप में रहे। उसके बाद उन्होंने 1950 से 1962 तक रामकथा पर शोध किया।
ज़िन्दगी के साथ भीं ज़िन्दगी के बाद भी की असरदार टैगलाइन के साथ देश के लाखो लोगों को बीमा की सेवाएं देने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम यानि एलआईसी की स्थापना आज ही के दिन आज से 62 साल पहले 1956 में हुई थी।
आज ही के दिन 1 सितम्बर1923 ग्रेट कैंटो भूकंप ने जापान के टोक्यो और योकोहामा में भयंकर तबाही मचायी थी। बता दें कि भूकंप का केंद्र मध्य सगामी खाड़ी था और इसकी तीव्रता 7.9 थी। इस भूंकप में करीब 3.45 मिलियन आबादी प्रभावित हुई थी। भूंकप के झटके कितने तीव्र थे इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि केवल टोक्यो के कपड़ों की फैक्ट्री साइट में ही तीस हजार लोग मारे गए थे।
महाश्वेता देवी को 01 सितम्बर 1997 को रेमने मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एशिया का नोेबेल कहा जाने वाला रेमने मैग्सेसे पुरस्कार महाश्वेता देवी को साहित्य जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था। वो तीन दशक से ज़्यादा समय तक वह आदिवासियों के बीच काम करती रहीं। उनके साहित्य का काफ़ी हिस्सा आदिवासियों के जीवन पर आधारित था।
1 सितम्बर 1956 को त्रिपुरा एक केंद्र शाषित प्रदेश के तौर पर अस्तित्व में आया। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर त्रिपुरा को केंद्र शाषित प्रदेश बनाया गया था। इससे पहले 1949 तक त्रिपुरा में महाराजा वीरचंद्र केशर माणिक्य के उत्तराधिकारियों का शासन था। कहा जाता है कि ययाति वंश के 39वें राजा त्रिपुरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा था।
1 सितंबर के दिन विश्व इतिहास में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई थी। दरअसल इस दिन द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। इसकी शुरुआत जर्मनी के पोलैंड पर आक्रमण करने से हुई।
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