History of 16th May- सिक्किम देश का 22वां राज्य बना

देश विदेश के इतिहास में आज के दिन बहुत कुछ हुआ, आइए जानते हैं आज के इतिहास में यानि 16 मई के इतिहास में कौनसी और महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं।
- साल 1943 में 16 मई को वॉरसॉ में 28 दिनों के बाद यहूदी बस्तियों में हुई लड़ाई ख़त्म हो गई. एक स्थानीय कमांडो दल के कमांडर ब्रिगेडियर ज्यूरगेन स्ट्रूप ने अपनी रिपोर्ट में इस पर जानकारी देते हुए कहा था कि पुलिस और कमांडो दल ने 19 अप्रैल को यहूदियों की बस्तियों में अपने टैंक और बख़्तरबंद गाड़ियों के साथ प्रवेश किया था. अपनी इस कार्रवाई के तहत इन सैनिकों ने यहूदियों को रेलवे स्टेशन की तरफ़ भेजना शुरू किया ताकि उन्हें यातना शिविर भेजा जा सके. लेकिन यहूदियों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए सशस्त्र बलों पर देसी बमों, राइफ़ल, छोटी बंदूकों और लाइट मशीन गन का इस्तेमाल किया. उनकी सेना यहूदियों के एक समूह से दिन-रात लड़ती रही. इसमें 20-30 लोगों के समूह में महिलाएं भी शामिल थी.
- इसी दिन साल 1974 में इसराइल के लड़ाकू विमानों ने सात फ़लस्तीनी शरणार्थी कैंपों और दक्षिणी लेबनान के गांवों पर बम से हमले किए थे. इन हमलों में कम से कम 27 लोग मारे गए थे और138 घायल हो गए थे. दरअसल एक दिन पहले लेबनानी सीमा के निकट मालोट के एक स्कूल में कुछ किशोरियों को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इसराइल ने जवाबी कार्रवाई की. इस कार्रवाई में 18 किशोरियों की मौत हो गई थी और 70 घायल हो गए थे. इसराइल के इन हमलों से सबसे ज़्यादा प्रभावित इन- एल- हेलवेह का शरणार्थी कैंप हुआ था. इस कैंप में बहुत भीड़ थी.
- 16 मई 1985 में साउथ वेल्स के दो खनिकों को एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या करने के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई.इस ड्राइवर का नाम डेविड विल्की था और उनकी मौत एक साल पहले नंवबर में खनिकों को हड़ताल के दौरान हुई थी. विल्की की मौत उस समय हो गई, जब वह खनिको को साउथ वेल्स में काम करने के लिए लेकर जा रहे थे. कार्डिफ़ क्राउन कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान ज्यूरी ने इस मामले पर सात घंटे तक विचार-विमर्श किया. जिसके बाद 21 साल के इन दोनों खनिकों डीन हेनकॉक और रसेल शैंकलैंड को सज़ा सुनाई गई
- आज ही के दिन साल 1929 में हॉलीवुड में पहले एकेडमी अवॉर्ड दिए गए थे। सबसे पहला एकेडमी अवार्ड्स समारोह हॉलीवुड रूजवेल्ट होटल में आयोजित किया गया था जिसे सार्वजनिक नहीं किया।16 मई 1929 को होटल के ब्लॉसम रूम में रखे गए रात के खाने में 270 लोगों आए थे। मेहमानों के लिए टिकट दर 5 डालर थी
- आज ही के दिन साल 1975 में सिक्किम देश का 22वां राज्य बना। दरअसल भारत को आजादी साल 1947 में मिली, जबकि सिक्किम 1974 तक अलग देश की पहचान रखता था. साल 1975 में सिक्किम के प्रधानमंत्री ने भारतीय संसद से अनुरोध किया कि वो भारत का अंग बनना चाहता है, और इसके लिए जो जरूरी कदम हैं, वो उठाए जाएं. आखिरकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वां राज्य बना। सिक्किम भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है. ये पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ राज्य है. सिक्कम में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है वैसे साथ ही
- आज ही के दिन 16 मई 1975 को जुंको ने एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया था. उस समय वह ऐसा करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई थीं. वे अपने देश जापान के लिए मिसाल बनीं. 1992 में वे ऐसी पहली महिला बनीं जिन्होंने सात महाद्वीपों की ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की थी. ताबेई का जन्म 1939 में जापान के मिहारू में हुआ था. उनका सपना था कि वे दुनिया के सभी देशों के ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई करें. ताबेई का जापान में कैंसर के कारण निधान हो गया.
- आज ही के दिन साल 1996 में देश के दसवे प्रधानमंत्री बनने अटल बिहारी वाजपेयी। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता, कवि, पत्रकार, और प्रखर वक्ता थे. राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी का प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ. इस आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें और उनके बड़े भाई प्रेम को 23 दिनों तक जेल में रहना पड़ा. आजादी के बाद वे जनसंघ के नेता बने. वाजपेयी ने अपना पहला चुनाव 1957 में उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से लड़ा था. वो बाद में पार्टी के 1969 से लेकर 1972 तक अध्यक्ष भी रहे. 1997 में वो मोरार जी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री भी बनाए गए थे. अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री मई 1996 में बने. हालांकि इस दौरान उनकी सरकार महज 13 दिन में ही अल्पमत में आ गई और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न ने नवाजा। और उन्होंने 16 अगस्त साल 2018 में देश को हमेशा के लिए अंलविदा कह दिया
- आज ही के दिन 2006 में न्यूजीलैंड के मार्क इंगलिस दोनों पैर न होने के बावजूद एवरेस्ट की 8,848 मीटर की चोटी पर पहुंचे थे। न्यूजीलैंड के 47 वर्षीय मार्क इंजलिस ऐसे पहले पर्वतारोही बन गये, जिन्होंने कृत्रिम पैरों के सहारे एवरेस्ट की चोटी पर झण्डा फहराया।
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