कांटों के बिस्तर पर सोने वाले बाबा, बने कुंभ का आकर्षण केंद्र

कांटों के बिस्तर पर सोने वाले बाबा, बने कुंभ का आकर्षण केंद्र
प्रयागराज में इस समय ऐसी छटा फैली है कि उसकी गूंज पूरे भारत में सुनाई दे रही है. वो छटा है कुंभ की छटा…संगम तट की नगरी पर लगा इस बार का कुंभ हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. चाहे बात कुंभ में त्रिवेणी तट की करें या फिर कुंभ में बने अखाड़ों की हर एक जगह सभी के लिए अलग अलग चीजें समेटे कुंभ को बेहतर और अनोखा बनाने में लगा है.
इन सभी के बीच इस समय कुंभ में कांटों वाले बाबा कुंभ का सबस बड़ा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. ये वो कांटों वाले बाबा हैं, जो कांटों का बिस्तर बना उस पर लेटे रहते हैं. जिसे देखकर पहले तो हर इंसान सहम जाता है. फिर अपने अंदर ही अंदर ख्यालात बनाता रहता है कि, ये बाबा कांटों पर क्यों लेटे हैं. कांटों वाले बाबा को लेकर भी एक ऐसी दिलचस्प कहानी है जोकि आपको जरूर जाननी चाहिए.
कांटों वाले बाबा, कांटों के बिस्तर पर इसलिए रहते हैं कि, क्योंकि उनके साथ 18 साल की उम्र में एक घटना घटी थी. जिसके बाद से कांटों वाले बाबा कांटों को ही अपना बिस्तर बना कर देश में लगने वाले आस्था के मेले में घूमते रहते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि हर आस्था के मेले में ये कांटों वाले बाबा बीते कई सालों से अपने पाप का प्रायश्चित कर रहे हैं.
कांटों वाले बाबा बताते हैं कि, जब वो 18 साल के थे. उस समय उनसे गलती से गौ हत्या हो गई थी. जिसके प्रायश्चित के लिए कांटों वाले बाबा पिछले इतने सालों से कांटों के बिस्तर पर सोते हैं. कांटों के बिस्तर पर रहते हैं. कांटों वाले बाबा बताते हैं कि माघ मेले और कुंभ के दौरान वो प्रयागराज जरूर आते हैं. इस दौरान उन्हें जो भी धन चढ़ावे के तौर पर मिलता है वो उसे मथुरा में गायों की देख-रेख में इस्तेमाल के तौर पर दे देते हैं.
कांटों वाले बाबा का असली नाम लक्ष्मण राम है. वो बताते हैं कि कांटों के बिस्तर पर सोने से उन्हें दर्द होता है. हालांकि अब उन्हें दर्द सहने की आदत हो गई है. इसके साथ वो अपने पापों की सजा काट रहे हैं.
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