October 1, 2023

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Kisan Bulletin 6th June 2019-किसानों की कर्जमाफी पर करोड़ खर्च करेगी सरकार

Kisan Bulletin 6th June 2019

Kisan Bulletin 6th June 2019-किसानों की कर्जमाफी पर करोड़ खर्च करेगी सरकार

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Kisan Bulletin 6th June 2019-

बिहार के समस्तीपुर जिले के मुजौना गांव में आधा दर्जन से ज्यादा किसानों के खेतों में लगी मक्के की बालियों में अब तक दाना नही आया है. जिसकों लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है. हालांकि, अपनी इस परेशानी को लेकर मुजौना गांव के किसानों ने प्रखंड कृषि पदाधिकारी को एक आवेदन भेजकर शिकायत भी की है. तो वहीं स्थानीय किसानों ने बताया है कि फरवरी प्लांट में मक्का की फसल में काफी मेहनत की गई थी.. फसल की समय से सिंचाई और जरूरत के हिसाब से खाद भी डाला गया था.. लेकिन जब फसल काटने का समय आया तो मक्के की बालियों में दाना नहीं है. इससे किसान मायूस हो गए हैं. दरअसल, जब सभी किसानों ने अपने-अपने खेतों में जाकर मक्के की फसल का निरीक्षण किया, तो पता चला कि, अब तक कई किसानों के खेतों में लगे मक्के की फसल में दाना नहीं आया है. जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है. किसानों ने बताया कि फरवरी से लेकर अभी तक हजारों रुपए सिर्फ सिंचाई में खर्च हो गए. लेकिन अब किसान मायूस होकर इस फसल का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के तौर पर कर रहे हैं. हालांकि, किसानों की शिकायत पर प्रखंड से कृषि विभाग की टीम ने खेतों में जाकर फसल का मुआयना ले लिया हैं और जांच के बाद अब कृषि विभाग की टीम नें फसल खराब होने की रिपोर्ट जिला स्तर पर भी भेज दी हैं.

हाल ही में तेंलगाना सरकार ने किसानों के कर्जमाफी के लिए 32 हजार करोड़ रूपये खर्च करने का ऐलान किया है… आपको बता दें कि, ये देशभर के किसी भी राज्य द्वारा खर्च की जाने वाली सबसे अधिकतम रकम है.. हालांकि, देश के और भी राज्य जैसे महाराष्ट्र कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने भी कर्जमाफी के लिए अनुमानित लागत बहुत ज्यादा दी हैं… लेकिन उनका असल आवंटन बहुत कम हुआ है..तो वहीं तेलंगाना का अनुमानित और आवंटन आंकड़ा लगभग बराबर रहता है। दरअसल, राज्य स्तर बैंकर्स समिति यानि की SLBC ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है.. जिसमें तेलंगाना की अनुमानित लागत 32 हजार करोड़ रूपये बताई गई है.. हालांकि, कर्जमाफी का ये आंकड़ा साल 2014-2015 में 17 हजार करोड़ रूपये था.. जिसे अब बढ़ाकर 32 हजार करोड़ रूपये कर दिया गया हैं… तो वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो ये राशि इसलिए बढ़ाई गई हैं क्योंकि, पिछली बार की तुलना में इस बार ज्यादा किसानों ने कर्ज लिया है… और ऐसा भी माना जा रहा हैं कि, इतनी ज्यादा संख्या में किसानों के कर्ज लेने की एक वजह ये भी हैं कि, इस बार कई पार्टियों ने विधानसभा चुनावों के दौरान अपने घोषणापत्र में किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था.. हालांकि, जानकारी के अनुसार, 42 लाख किसानों को राज्य में कर्जमाफी का फायदा मिलेगा… आपको बता दें कि, तेलंगाना और पड़ोसी आंध्र प्रदेश राज्य इस योजना को साल 2014-15 से लागू कर रहे हैं। कर्जमाफी से आंध्र प्रदेश पर वार्षिक बोझ 16,975 करोड़ का पड़ता है। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, तेलंगाना अकेला ऐसा राज्य है जो पिछले चार सालों से सफलतापूर्वक किसान कर्जमाफी योजना को लागू कर रहा है। ‘महाराष्ट्र ने 2017-18 के दौरान इस योजना को शुरू किया था। उसने अनुमानित लागत 34,000 करोड़ रुपये रखी थी लेकिन पिछले साल तक केवल 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए। उत्तर प्रदेश ने 34,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत रखी थी लेकिन वो भी केवल 24,000 करोड़ रुपये खर्च कर पाया। ‘हालांकि तेलंगाना परियोजना की अनुमानित और खर्च हुई रकम पिछले तीन सालों से 16,000 करोड़ रुपये रही है।’ सबसे ज्यादा कर्नाटका में अनुमानित और खर्च की गई रकम में भिन्नता देखने को मिली। यहां 42,000 हजार करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था और केवल 14,508 करोड़ रुपये खर्च हुए। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु ने 2016-17 में परियोजना को शुरू किया था और केवल 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए।

आज के दौर में लगातार बढ़ती महंगाई और दिनों दिन घटती क्रयशक्ति के चलते जहां ग्रामीण इलाकों में पिछली तीन तिमाही से किराना और डेली यूज के सामान में सुस्ती छाई थी, वहीं एक बार फिर इसमें तेजी आने के आसार हैं. बड़ी कंज्यूमगर गुड्स कंपनियों की मानें तो इस बार मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान और किसानों के लिए सरकार की तरफ से चलाई जा रही गांरटीड इनकम सपोर्ट स्कीम किसानों का दायरा बढ़ाने में अहम रोल निभाऐंगे. भाजपा के एक बार फिर से सरकार बनाने के बाद बीते हफ्ते सरकार की कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PM किसान योजना का दायरा बढ़ाकर उसमें कुल 14.5 करोड़ किसानों को शामिल करने का ऐलान किया था. इसके साथ बैठक में कहा गया था कि किसानों की जोत चाहे जितनी भी हो, सबके बैंक खातों में 6,000 जमा कराए जाएंगे. साथ ही योजना का दायरा बढ़ाए जाने से इसमें दो करोड़ और किसानों को इसमें जोड़ा गया है. वहीं पैकेज्ड कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनी डाबर इंडिया के CEO मोहित मल्होत्रा की मानें तो उन्होंने कहा कि, MSP बढ़ाए जाने और सरकारी राहत से ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ताओं की जेब में ज्यादा पैसा आएगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में खपत को बढ़ावा मिलेगा. जिससे पिछले कुछ समय से मार्केट में बनी नकदी संकट की स्थिति में और सुधार आएगा साथ ही रेपो रेट में हालात बेहतर होंगे. इसके साथ मोहित ने कहा कि, ‘बेरोजगारी का स्तर आज भी ऊंचा बना हुआ है, जिसे नीचे लाने के लिए सरकार को जल्द ही निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है.’ जहां एक तिहाई मार्केट वाले ग्रामीण इलाकों में कंज्यूमर गुड्स की खपत बढ़ने की रफ्तार शहरों के मुकाबले ज्यादा रही है. वहीं पिछले क्वॉर्टर में घरकर 1.1 गुना ही रह गई. हालांकि एक बार फिर इसमें तेजी दर्ज की जा रही है. हालांकि सरकार से एग्री सेक्टर संकट दूर करने की उम्मीद लगाए बैठी कंपनियों का कहना है कि वॉल्यूम और वैल्यू ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए वो कम प्राइस वाले प्रॉडक्ट्स की सेल और डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन पर फोकस कर रही हैं. ऐसे में जहां केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार किसानों के लिए पॉजिटिव दिखाई दे रही है, वहीं इस बार मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान के चलते किसानों की आय बढ़ाने की पहल के चलते रूरल सेंटीमेंको को भी बढ़ावा मिलने के आसार हैं.

 

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