October 2, 2023

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Kisan Bulletin 4th Aug 2019-कीवी से मालामाल उत्तराखंड के किसान

Kisan Bulletin 4th Aug 2019

Kisan Bulletin 4th Aug 2019-कीवी से मालामाल उत्तराखंड के किसान

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हरियाणा के कैथल में इस समय गन्ना किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है. आपको बता दें की गन्ने की फसल में गोभी की सूंडी टोपबोरर लगने से गन्ना किसानों की चिंताऐं इस समय काफी बढ़ गई हैं. वहीं दूसरी तरफ इस बीमारी के लगने के बाद से किसानों में शुगर मिल प्रशासन के खिलाफ काफी रोष दिखाई दे रहा है. किसानों का कहना है कि शुगर मिल प्रशासन गन्ना किसानों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा. हर साल गन्ने से संबंधित बीमारियां इसी तरह पैदा होती है और शुगर मिल गन्ने से संबंधित बीमारियों के लिए किसानों को उचित परामर्श और गन्ने में डालने के लिए परजीवी देता था, लेकिन इस बार शुगर मिल ने कुछ भी नहीं दिया है. जिसके चलते गन्ने की फसल में इस समय टोपबोरर लग गई है. जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं इस परेशान से छुटकारा पाने के लिए किसान बाजार में उपलब्ध कीटनाशकों दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन बगैर जानकारी के जो भी दवाई विक्रेता सलाह दे रहे हैं, उससे कोई लाभ नहीं हो रहा है. जाहिर है इस तरह की समस्या आए दिन किसानों के लिए चिंता का विषय बनी रहती है. हालांकि सुस्त प्रणाली के चलते किसानों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है.

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में किवीफल आर्थिकी को ना सिर्फ पंख लगा रहे हैं बल्कि किसानों को भी कीवी की खेती भा रही है। उत्तराखंड के किसानों के लिए इन दिनों किवी फल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक फल के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। किवी को चाइनीज़ गूज़बैरी के नाम से भी जाना जाता है। हांलाकि इस फल का मूल स्थान चीन है लेकिन भारत में भी अब कीवी की फसल किसानों की पसंद बनती जा रही है। बात अगर कुमाऊं मण्डल की करें तो कई स्थानों पर कीवी के बाग लगे है। कीवी फल खाने में काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं । इस फल में विटामिन सी काफी अधिक मात्रा में होता है और इसके अतिरिक्त इस फल में विटामिन बी, फास्फोरस, पौटिशयम और कैल्शियम तत्व भी अधिक मात्रा में पाये जाते हैं डेंगू बुखार होने पर कीवी खाना फायदेमंद होता है। किवी फल पर्णपाती पौधा है इसलिए ये मध्यवर्ती क्षेत्रों में 600 से 1500 मीटर की उँचाई तक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। क्‍योंक‍ि उत्तराखंड के क्षेत्रों की जलवायु  और परिस्थितियां इसके अनुरूप है। खासकर वो क्षेत्र जिनका तापमान गर्मियों में 35 डिग्री से कम रहता है और तेज हवाएं चलती हो, तो ऐसी जगह कीवी का पौधा लगाने के लिए उपयुक्त हैं। कीवी फल से उत्तराखंड के बाकि किसान भी खूब मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि जिस समय किवी फल तैयार होता है, उन दिनो बाजार में ताजे फलों के अभाव के कारण किसान आर्थिक लाभ उठा सकता है। यही नहीं इसे शीतगृहों मे चार महीने तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है। यानि कि इन फलों के जल्दी सड़ने की कोई चिंता भी नहीं रहती है। इन्ही कारणों से बाजार में इसको लम्बे समय तक बेच कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। विदेशी पर्यटकों में ये फल काफ़ी लोकप्रिय हैं। इसलिए दिल्ली और अन्य बड़े शहरों मे इसे आसानी से अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। बस जरुरत है आज कीवी फल उत्पादन ठीक प्रकार से व्यवसायिक रूप ले ले ताकि बाकि किसान भी इसका लाभ उठा सकें।

एक बार फिर उत्तर प्रदेश में चीनी मिल प्रबंधकों की उदासीनता ने गन्ना किसानों की मुसीबतों को और भी ज़्यादा बढ़ा दिया है। हालत ये है कि चीनी मिल पर गन्ना बेचने के बाद किसानों को भुगतान के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। इसके बाद भी किसानों को भुगतान नहीं मिल रहा है। लगता है कि जैसे प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर चीनी मिलों को दिये गए निर्देश बेमानी हो गए हैं। साफ़ है कि प्रदेश सरकार की सख्ती का असर चीनी मिल प्रबंधकों पर नहीं पड़ रहा है। गन्ना बोने के बाद किसान को उसे मिल तक पहुंचाने के लिए काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। पहले पर्ची के लिए मारामारी और उसके बाद भुगतान के लिए इंतजार। हैरानी की बात ये है कि मंडल की चीनी मिलों पर किसानों के 1350 करोड़ रुपए बकाया हैं। रानीनांगल चीनी मिल भी अभी तक 88 फीसद भुगतान ही कर सकी है। गन्ने की आपूर्ति करने वाले किसानों को चीनी मिलों से अभी तक लागत भी पूरी नहीं मिली है। जिले की चार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 230 करोड़ से अधिक की धनराशि बकाया है। सबसे कम भुगतान अभी तक अगवानपुर चीनी मिल ने किया है। इसी तरह बाकि चीनी मिल मनमाने तरीके से किसानों को भुगतान कर रही है। वहीं गन्ना भुगतान नहीं होने से फसल बोने में भी किसानों को दिक्कत आ रही है। चीनी मिलों पर शासन और प्रशासन की सख्ती का कोई असर नहीं है। जिसकी वजह से अब गन्ने की बुवाई से अब किसान धीरे-धीरे कतराने लगे है।

उत्तराखण्ड के बेरोज़गारों के लिए अच्छी ख़बर है. राज्य सरकार ने कृषि विभाग में 280 पोस्ट पर वेकेंसी निकाली है. शुक्रवार को उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कृषि विभाग में भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिए हैं। कृषि सहायक अधिकारी की इन पोस्ट के लिए 6 अगस्त से रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे जिसकी डिटेल आयोग ने अपनी वेबसाइट, www.sssc.uk.gov.in, पर अपलोड कर दी है.

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अब आठवीं कक्षा तक कृषि विषय को अनिवार्य रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं। यानि की अब उत्तराखंड के सभी स्कूलों में जल्द ही बच्चे 8वीं तक कृषि शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

देश के उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू 10 अगस्त को झारखंड के रांची में कृषि आशीर्वाद योजना का शुभारंभ करेंगे. और इस अवसर पर वो 15 लाख किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से योजना की राशि भी भेजने वाले है। आपको बता दें कि, योजना के तहत एक से पांच एकड़ भूमि वाले किसानों को न्यूनतम पांच हजार और अधिकतम 25 हजार का लाभ मिलेगा

राजस्थान के अमरसरवाटी क्षेत्र में बाजरे की फसल में सफेद रंग के कीट का प्रकोप बढ़ गया है। जिसके चलते शुक्रवार को कृषि विभाग के अधिकारियों ने कीट प्रभावित बाजरे की फसल का जायजा लेकर किसानों को कीट से बचाव के उपाय बताए। 

 

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