Kisan Bulletin 2nd Aug 2019-कर्जमाफी के विरोध में, भूख हड़ताल पर अन्नदाता

Kisan Bulletin 2nd Aug 2019-कर्जमाफी के विरोध में, भूख हड़ताल पर अन्नदाता
Kisan Bulletin 2nd Aug 2019-
मध्य प्रदेश के सागर जिले के खुरई तहसील के करैया गूजर गां के किसान पिछले तीन दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. आपको बता दें कि, इन किसानों का आरोप है कि आज से 5 साल पहले इनके नाम पर करोड़ों रुपये इनके किसान क्रेडिट कार्ड ऋण से निकाल लिए गए थे, उसको माफ नहीं किया जाए बल्कि जिसने किसानों के नाम पर धोखाधड़ी की है ये रकम उससे वसूली जाए. इसके साथ किसानों का कहना है कि जब उन्होंने खुद कर्ज नहीं लिया तो माफी कैसी? वहीं भूख हड़ताल पर बैठे किसानों में से दो किसानों की बीते दिन तबीयत खराब होने के चलते उन्हें खुरई अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उनका इलाज चल रहा है. आपको बता दें कि, लगभग 5 वर्ष पहले करैयागूजर ग्राम पंचायत की सरपंच के पति कुंजन कुर्मी ने बरोदिया नौनगर गांव स्थित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के तत्कालीन बैंक प्रबंधक से मिलकर लगभग 500 किसानों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लगभग 4.50 करोड़ का लोन किसान क्रेडिट कार्ड से निकाल लिया था. वहीं किसानों के संघर्ष के चलते 2014 में दोनों पर केस तो दर्ज हो गया लेकिन अभी तक पुलिस ने आरोपियों का चालान तक पेश नहीं किया. यही वजह है कि किसान चाहते हैं की उनका ऋण माफ न किया जाए बल्कि आरोपी से वसूला जाए. वरना ऋण माफी का सारा फायदा सरपंच को मिलेगा.
मिलावट खोरी के जमाने की अगर बात करें तो इस समय देश की कोई भी संस्था या कोई भी जगह नहीं शायद ही बची होगी. जहां मिलावट का कारोबार न चलता हो. इसी तरह मध्य प्रदेश के नीमच जिले में भी मिलावट का खेल चल रहा है. जहां लोगों की सेहत से इस समय खिलवाड़ जारी है. आपको बता दें कि, यहां की मसाला फैक्ट्री में धनिये को जहरील सल्फर से रंगा जा रहा है और फफूंद लगी हल्दी और मिर्च को पीसकर बाजार में बेंची जा रही है. वहीं जब मिलावट खोरों के खिलाफ प्रशासन ने एक्शन लिया तो एक से बढ़कर एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में जांच टीम ने कई फैक्ट्रियों पर छापा मारा. हालांकि वहां का हाल देखकर अफसर भी सकते में आ गए. खाद्य एवं औषधि प्रशासन जिला अधिकारी संजीव मिश्रा के मुताबिक रोहित ट्रेडर्स के फोरलेन बाईपास स्थित गोदाम पर जब छापा मारा गया तब वहां खराब क्वालिटी के धनिए को ज़हरीले सल्फर से रंगने का काम चल रहा था. धनिया में डंठल और कचरा तक पीसा जा रहा था. टीम ने वहां से 7 हज़ार 58 किलो धनिया ज़ब्त किया. वहीं सिंगोली में नमकीन और तेल के बड़े कारोबारी बालाजी गृह उद्योग पर जब प्रशासन ने छापा मारा तो उन्हें वहां नमकीन इंडिया की फर्जी थैलिया मिलीं. टीम ने इस फैक्ट्री से 1 हज़ार 980 लीटर पॉम ऑयल, 4 हज़ार 475 किलो नमकीन, 950 किलो बेसन ज़ब्त किया. मटर आटा, नमकीन और तेल के सैम्पल लिए. राजस्थान सीमा से लगे नीमच के इस इलाके में धनिया रंगने की ज़हरीली भट्टिया भी मिली हैं.जाहिर है जहां एक तरफ खाद्यों को बेहतर करने के लिए सीमाऐं निर्धारित की जाती हैं वहीं इस तरह कंपनियां ऊंचे दाम पर घटिया क्वालिटी लोगों को परोसती हैं.
तमिलनाडु के सलेम जिले के संकागिरी इलाके के कंगनापुरम में रहने वाले एक किसान ने बीते रोज बैंक के अंदर जहर खाकर आत्महत्या कर ली. आपको बता दें की पुलिस ने शुरुवाती जांच में बताया कि, तीन किसानों ने सामूहिक कर्ज डेयरी खोलने के लिए लिया था. उसके बदले भूपति ने अपने संपत्ति के दस्तावेज बैंक में जमा कराए थे. हालांकि डेयरी में घाटा होने के चलते भूपति ने अपने हिस्से का कर्ज चुकाने की बात बैंक से कही, हालांकि बैंक के अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेज तभी उसे मिल पाएंगें जब वो पूरा कर्ज बैंक का चुका देगा. इस दौरान भूपति बैंक में जहर लेकर आया था. डेयरी में घाटे के चलते और घर गिरवी होने के चलते उसने बैंक के बाहर ही जहर खा लिया. जिसके बाद किसान को अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. हालांकि अभी इस मामले को लेकर बैंक अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. जाहिर है किसानों से लेकर हर इंसान को अपने बिजनैस में लाभ हानि आती रहती है हालांकि आत्महत्या किसी भी चीज का समाधान नहीं है.
छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में गुरुवार को सैकड़ों की संख्या में प्रदेश भर के किसान शामिल हुए. इस दौरान हसदा, सांकरा, नेवनार और देवादा के किसानों ने 2016-2017 की फसल बीमा राशि और सूखा राहत राशि नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. साथ ही किसानों ने पत्र लिखकर जल्द से जल्द इसका समाधान करने की बात कही.
उत्तर प्रदेश में जहां एक तरफ कहीं ज्यादा बारिश तो कहीं सूखे ने किसानों की परेशानी बढ़ रखी है. वहीं दूसरी तरफ मुजफ्फपुर के किसान परेशानी की दोहरी मार झेल रहे हैं. आपको बता दें कि नीलगाय व जंगली सूअर इस समय किसानों के लिए आतंक बन चुके हैं. नीलगाय फसलों को रौंद कर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचा रही हैं.
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