Kisan Bulletin 28th March 2019-फूलों की खेती बना रही मालामाल

Kisan Bulletin 28th March 2019-फूलों की खेती बना रही मालामाल
- बगहा के किसानों की सिंचाई और मौसम की समस्या को सुलझाने के लिए जल्द ही पंचायत स्तर पर वर्षा मापी यंत्र लगाने की कवायद शुरू की जा रही है. जिसके चलते मौसम संबंधी जानकारी किसानों को पूर्व में मिल सकेगी. यंत्र स्थापित करने के लिए स्थल चिह्नित करने की कवायद आरंभ कर दी गई है. बगहा दो के कृषि पदाधिकारी वींरेंद्र प्रसाद ने बीते बुधवार को किसान भवन में किसान समन्वयक व किसान सलाहकारों की बैठक की कर निर्देश दिए की जल्द ही कृषि कर्मि अपने-अपने क्षेत्र में वर्षा मापी यंत्र स्थापना के लिए स्थल चिह्नित करें. जाहिर है, वर्षा मापी यंत्र लगने के बाद किसानों को मौसम का पूर्वानुमान हो जाएगा और खेती के दौरान सिचाई की समस्या आड़े नहीं आएगी. किसानों को इससे संबंधित जानकारी कृषिकर्मियों द्वारा दी जाएगी.
- बहादुरगढ़ उपमंडल कृषि कार्यालय में बुधवार को खाद-बीज विक्रेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में मौजूद उप कृषि निदेशक डॉ. इंद्र सिंह ने बैठक में शामिल डीलरों और दुकानदारों को सामान का पूरा रिकॉर्ड रखने एवं किसानों को उत्तम किस्म के खाद-बीज व अन्य प्रोडक्ट देने के लिए प्रेरित किया. बैठक में उपमंडल के सभी पंजीकृत एवं कार्यरत खाद बीज विक्रेता उपस्थित थे. उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ. सुनील कौशिक व गुण नियंत्रण निरीक्षक डॉ. बालमुकुंद ने डीलरों से कहा कि खेती न केवल किसान बल्कि हर एक इंसान से जुड़ी है. अच्छी फसल होती तो सबका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा. इसलिए आप सभी बीजों की गुणवत्ता और खाद में कोई कोताही न बरतें.
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जहां पिछले कुछ वर्षों से बुंदेलखंड में सूखे की वजह के चलते पलायन बढ़ा है. वहीं कुछ किसानों ने इस मुसीबत में भी मिसाल कायम की है. ललितपुर के खितवांस गाँव के कई किसान इस समय फूलों की खेती कर रहे हैं. लेकिन जब नारायणदास कुशवाहा आज से 15 साल पहले फूलों की खेती की शुरूवात की थी तो, उन्हे अपने आप पर भरोसा नही था कि परिणाम इतने अच्छे आएंगे. अपनी माली हालत खराब होने के चलते नारायणदास ने महज आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. लेकिन नारायणदास ने पलायन का रास्ता नहीं अपनाया बल्कि पुरानी ढर्रे वाली खेती से हटकर उद्यान उद्यान कृषि विभाग की प्रेरणा से फूलों की खेती की ओर रूख किया. इनके पास सोलर पैनल का प्लांट भी लगा हैं इसी के सहारे फूलों की खेती में पानी दे पाते हैं और आज नारायण दास अपने घर की आर्थिक तरक्की की मिसाल बन गए हैं.
- जहां एक तरह सरकार किसानों की आय दोगुनी करने से लेकर अनेकों योजनाऐं धरातल पर लाने की बात करती है. वहीं दूसरी तरह किसानों को ही उन योजनाओं की सही जानकारी किसानों को ही मालूम नहीं होती है, इसी तरह मेरठ में किसानों की दशा सुधारने को 13 जून 2016 को लागू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पिछले चार साल में चार कदम भी नहीं चल सकी है. प्राकृतिक आपदा से फसल को होने वाले नुकसान से किसान को बचाने के लिए लिए कम प्रीमियम पर मुआवजा राशि देने के दावों के बावजूद यह धरातल पर नहीं उतर पाई है. जिसका नतीजा है कि, मवाना तहसील में 95 फीसद से ज्यादातर किसानों को योजना की जानकारी ही नहीं है और किसान यूं ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
- विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कृषि में डिस्टेंस डिग्री प्रोग्राम पर रोक लगा दी है. यूजीसी ने बीते दिनों अपनी बैठक में कहा कि, “कृषि की पढ़ाई के लिए प्रायोगिक जानकारी व अनुभवों की बेहद जरूरत होती है. जिसके चलते अब इस डिग्री को घर पर बैठ कर लेने वालों पर रोक लगाई जा रही है. गौरतलब है कि, यह मामला कृषि मंत्रालय ने अपने विचार के लिए आयोग के पास भेजा था.
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