Kisan Bulletin 9th May 2019- यूपी के दो किसानों ने किया सबको हैरान

Kisan Bulletin 9th May 2019-
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पड़े भयानक सूखे की वजह से गांव वासियों को पीने के पानी के लिए काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं…हालात इतने बद्तर हो चुके हैं कि गांव के कुएं भी पूरी तरह सूख चुके हैं.. पीने के पानी तक के लाले पड़ चुके हैं… पानी के सरकारी टैंकर भी दो से तीन दिन में बस एक बार आते हैं.. लोग तो जैसे तैसे अपना गुजारा कर भी रहे हैं लेकिन पानी की कमी की वजह से हर-दूसरे दिन जानवरों की मौतें हो रही हैं.. जिले की समस्याओं को देखते हुए अन्नदाता शेतकरी संघटना के बैनर तले किसानों ने औरंगाबाद के क्रांति चौक से मोर्चा निकाला है। इस मोर्चे में महिलाएं पानी के बर्तन लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करती नजर आई। इतना ही नहीं, इन महिलाओं का कहना हैं कि, करीब 2 किमीं पैदल चलने के बाद उन्हें कहीं जाकर एक मटका पानी नसीब हो रहा हैं.. किसान नेता जया जी राव सूर्यवंशी का दावा है कि, मराठवाडा में इस समय 1972 से भी भयानक सूखा पड़ा हुआ है। लेकिन सरकार ने सूखे के लिए कुछ इंतजाम नहीं किया है। किसानों ने रबी और खरीफ के लिए जो फसल लगाई थी वह भी पानी नहीं होने के कारण पूरी तरह जल गई है। किसानों और मजदूरों के घरों में अनाज नहीं है। सरकार की बेरुखी इन ग्रामीण किसानों के लिए भुखमरी का सबब बनती जा रही है। इसी के साथ किसानों का कहना है कि, जल्द से जल्द गोदावरी नदीं में पानी छोडा जाए…और राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर सूखाग्रस्त किसानों की मदद करें, और अगर सरकार किसानों की मदद नहीं करती तो आने वाली 13 तारीख को गोदावरी नदी में जिले के सभी किसान जल समाधि देंगे। आपको बता दें कि, जब किसी जिले या गांव में सूखा पड़ जाता है और किसानों की फसलें पानी के अभाव में सूखने लगती हैं… तो किसान अपना रूख साइड बिजनेस की तरफ मोड़ लेते हैं और डेयरी उत्पादन के जरिए अपना गुजारा करने लगते हैं.. लेकिन इस समय मराठवाड़ा की स्थिति इतनी भयानक हैं कि सूख के चलते जिले के मवेशी में अपना दम तोड़ रहे हैं… और किसानों के पास अपना गुजारा करने का कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं बचा है…
उत्तराखंड के देहरादून जिले के किसान इस बार सरकार को गेहूं बेचने से बच रहे हैं। हालात ये है कि जिले में इस क्रय सीजन के 36 दिनों में महज 29 क्विंटल खरीद ही हो पाई है। टारगेट के अनुसार देखा जाए तो इतनी खरीद भी शून्य के बराबर ही हैं.. और इसकी वजह बाजार में एमएसपी से ज्यादा मूल्य मिलने को बताया जा रहा हैं… आपको बता दें कि, ये आंकड़े हाल ही में हुई गेहूं खरीद प्रगति की समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी के सामने रखे गए है.. बैठक में जिलाधिकारी ने अधिकारियों से कम खरीद का कारण और खरीद बढ़ाने के सुझाव मांगे… हालांकि, जिलाधिकारी ने कहा कि गेहूं खरीद में दलालों की भूमिका को शून्य किया जाना चाहिए। और साथ ही, जिला कृषि अधिकारी को आदेश दिए कि वो सीधे किसानों को फोन करें और तौल केंद्रों तक आने के लिए कहें। बता दें, इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपये है जिस पर जनपद में लगभग 2450 टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था। इनमें से खाद्य विभाग को 450 टन और सहकारिता विभाग को लगभग 2000 टन का लक्ष्य मिला था। जिले में कुल सात तौल केंद्र हैं, जिसमें चार खाद्य विभाग के और तीन सहकारिता विभाग के हैं। बाजार में इस समय गेहूं का थोक दाम 2000 रुपये से लेकर 2150 रुपये प्रति क्विंटल तक है। ये दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP से अच्छा खासा ज्यादा है। जिसके चलते किसानों को रूख इस बार सरकारी क्रय केंद्रो से ज्यादा बाजार की तरफ मुड़ गया हैं…
आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी.. जहां चाह वहां राह… लेकिन इस कहावत को सच कर दिखाया हैं उत्तर प्रदेश के दो किसानों ने… दरअसल, जनपद बिजनौर के नजीबाबाद क्षेत्र के गांव भोगपुर के किसान जगतार सिंह और गुरनाम सिंह ने अमेरिकी केसर की खेती कर सबको चौंका दिया हैं.. उन्होंने परंपरागत खेती के साथ ही बेशकीमती केसर यानि की जाफरान की खेती कर सभी को हैरत में डाल दिया… इतना ही नहीं, दोनो किसान अब तक सात से आठ किलोग्राम केसर उगा चुके हैं। जिसकी कीमत डेढ़ से ढाई लाख रुपये प्रति किलो है। किसानों ने बताया कि, दो साल पहले सिर्फ प्रयोग के तौर पर उन्होंने कुछ ही पौधे उगाए थे। लेकिन जब उसमें सफलता मिलने लगी तो उन्होंने दो बीघा भूमि पर केसर के पौधे लगाए और उसमें भी सफलता हासिल की। दोनो ही किसान प्रदेश के उन चुनिंदा किसानों में से हैं, जिन्होंने केसर की फसल तैयार की है। अभी तक दोनों लगभग 7-8 किलोग्राम केसर तैयार कर चुके हैं। और अब इसे दिल्ली-सहारनपुर के बाजार में बेचने की तैयारी कर रहे हैं.. जानकारी के मुताबिक, इस समय केसर का थोक रेट लगभग 1.5 से 2.5 लाख रुपये प्रति किलो के बताया जा रहा है.. यानि की दोनो ही किसान केसर की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं..
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