October 2, 2023

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Kisan Bulletin 3rd Sep- डेयरी फर्म से करोड़ो में मुनाफा

Kisan Bulletin 3rd Sep

Kisan Bulletin 3rd Sep

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Kisan Bulletin 3rd Sep-

  1. जहां देश के कई राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए सभी पार्टियों ने किसानों को कर्ज माफी देने की बात की थी, वहीं कुछ इसी तरह उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने भी यही ऐलान किया था. हालांकि आपको बता दें की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में कर्ज अदायगी को लेकर किसानों को नोटिस भेजा जा रहा है. आपको बता दें की किसान फसल कर्ज माफी योजना के तहत जिले के 70 हजार से अधिक किसानों को लाभ मिल चुका है, हालांकि अभी ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जिनका कर्ज माफ होने के बाद बैंक की तरफ से उन्हें कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. जिसके चलते परेशान किसान, जिला कृषि अधिकारी कार्यालय और बैंक के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.
  2. आपको बता दें की प्रदेश सरकार की फसली कर्ज माफी योजना के तहत जिले के नान एनपीए के 1 लाख 17 हजार 925 किसानों में से 53 हजार 250 किसानों का 356.15 करोड़ व एनपीए के 38 हजार, जबकि नौ हजार 429 का 16.61 करोड़ कर्ज माफ किया गया. इसके बाद एनपीए खाता धारकों में कर्ज माफी से वंचित 165 किसानों की शिकायतें मिलने के बाद उनका 56 लाख रुपये का कर्ज माफ किया गया. हालांकि उसके बाद भी ऐसे कई किसान हैं, जिन्हें कर्जमाफी योजना का लाभ नहीं मिल पाया. वहीं इसके बाद भी जिले में 24 हजार 474 शिकायतें प्रशासन को मिली. जिसमें पहले चरण में 1890 व  दूसरे चरण में 2172 और तीसरे चरण में 2370 किसानों का कुल लगभग 46 करोड़ रुपये माफ किया गया. हालांकि इसके बाद भी जिले में ऐसे कई किसान हैं जिनको इस योजना का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया. जिसके चलते किसानों को इस योजना का लाभ देने के लिए ऑफलाइन डेस्क की शुरुवात की गई थी. जिसमें जिले के पात्र किसानों के लिए आवेदन मांगे गए थे. वहीं इस आधार पर 2018 किसानें ने अपना आवेदन भेजा था, जिनका कृषि अधिकारी की तरफ से सत्यापन किए जाने के बाद 1503 किसानों को कर्ज माफ करने की बात कही गई थी. हालांकि दो महीने निकल जाने के बाद भी अभी तक किसानों के खाते में कर्ज माफी की धनराशि नहीं पहुंची है. वहीं दूसरी तरफ बैंक किसानों पर कर्ज चुकाने को लेकर नोटिस भेजकर दवाब बना रही है. जबकि किसान जिला कृषि अधिकारी से लेकर बैंकों के चक्ककर काट रहे हैं. हालांकि अभी भी वो सरकार की तरफ उम्मीदें लगाए हुए हैं की योजना का लाभ उन्हें भी मिलेगा.
  3. उत्तर प्रदेश के मरेठ के सरूरपुर के किसानों के बकाया गन्ना भुगतान को लेकर व गन्ना सुरक्षण बैठक मंडल स्तर पर कराने के लेकर बीते दिन संघर्ष समिति की तरफ से एक बैठक में ये ऐलान किया गया की वो चार सितंबर को गन्ना भवन का घेराव करेंगे. इस दौरान किसान संघर्ष समिति किनौनी के प्रतिनिधियों ने जांजोखर गांव में बैठक की. साथ ही किसानों ने कहा कि लगता है प्रदेश की सरकार भी चीनी मिलों से मिली हुई है. यही वजह है की अभी तक किसानों को उनके गन्ना बकाया का भुगतान नहीं किया गया. इसके साथ किसानों ने कहा की पिछले कई सालों से गन्ना सुरक्षण की बैठक लखनऊ में आयोजित की जाती रही है. जिसमें आने जाने में ही किसानों का हजारों रुपया खर्ज हो जाता है. जिससे इस बैठक को मंडल स्तर पर करना चाहिए इसके साथ किसानों ने कहा की प्रशासन व गन्ना विभाग की इस समय मनमानी चल रही है. यही वजह है की किसानों ने कहा की गन्ना सुरक्षण बैठक का बहिष्कार किया जाएगा. साथ ही आने वाली चार सितंबर को मेरठ गन्ना भवन पहुंचकर अधिकारियों को घेराव किया जाएगा और अगर इसके बाद भी हमारी बात नहीं मानी गई तो किसान बैठक कर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी. आपको बता दें की इस बैठक का संचालन बॉबी प्रधान ने किया साथ ही किसानों से ये आह्वावन किया की वो चार सितंबर तक 11 बजे मेरठ गन्ना भवन पहुंचकर किसानों का समर्थन करें.
  4. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे पिथौरा ब्लॉक का गोड़बहाल गांव इस समय किसानों से लेकर हर इंसान के लिए मिसाल बन रहा है. आपको बता दें की कुछ समय पहले तक खेति मजदूरी करने वाला ये गांव इस समय हर रोज 2000 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है. आर्थिक कमजोरी से जूझने वाले इन किसानों ने दुग्ध सहकारी समिति बनाकर न सिर्फ अपने हालात बदल डाले साथ ही कुपोषिक बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने का बीड़ा भी उठाया है. इस समय ये समिति बच्चों को दूध, दलिआ और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराता है. आपको बता दें की समिति के अध्यक्ष सादराम पटेल ने जब ये समिति बनाई थी तो इसमें महज 11 लोग जुड़े थे. उस समय महज 30-40 लीटर दूध उत्तपादन होता था. हालांकि इस समय इससे 105 परिवार जुड चुके हैं जिससे यहां हर रोज 2000 लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिसका सालाना का कारोबार इस समय एक करोड़ रुपये से ऊपर तक पहुंच गया है. आपको बता दें की दूधी निकालने से लेकर दूध ठंडा करने के लिए यहां चिलर भी लगाया गया है, साथ ही हर डेयरी में किसानों ने गोबर गैस प्लांट लगा रखा है, जाहिर है जहां किसानों को आए दिन अपनी खेती में नुकसान उठाना पड़ता है वहीं इस तरह की अनूठी पहल किसानों मजबूत और सशक्त बनाती है.
  5. जहां एक तरफ बारिश और मानसून की बाढ़ ने अनेकों किसानों की फसल खराब हो गई वहीं दूसलरी तरफ बिलासपुर के बिल्हा में किसानों के ऊपर अपनी फसल बचाने की चुनौती आ गई है. आपको बता दें की बारिश न होने के चलते इस समय किसानों को अपनी धान की फसल बचाने के लिए टुल्लू पंप का सहारा लेना पड़ रहा है. जिसके चलते किसानों को अपनी खेती में मुनाफे के बजाय घाटा सहना पड़ रहा है.

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