Kisan bulletin 29th June 2019- योगी सरकार की इस पहल से किसानों को होगा फायदा

Kisan bulletin 29th June 2019-
- देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को देखते हुए, ना सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारें भी गिरते भू-जल स्तर को रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। आपको बता दें कि, पहले हरियाणा सरकार ने भू-जल स्तर को गिरने से रोकने के लिए किसानों को धान की खेती की बजाय, मक्का दलहन और तिलहन की फसलों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया.. और इसके बाद अब यूपी सरकार भी दिनो-दिन बढ़ते जल संकट को देखते हुए, सिंचाई के लिए स्प्रिंकल इरिगेशन सिस्टम को बढ़ावा दे रही है। इतना ही नहीं, सरकार की कोशिश से 3 लाख हेक्टेयर जमीन को ड्रिप इरिगेशन से सिंचित करने में कामयाबी मिल पाई है. हालांकि, इसके लिए सरकार किसानों को सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है। इसके अलावा किस फसल को कितना पानी देना चाहिए, इसकी जानकारी देने के लिए किसानों को केंद्र सरकार के एम पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है… जानकारी के अनुसार, अब तक 30 लाख किसान इससे जुड़ चुके हैं. इनमें अधिकांश गन्ना किसान शामिल हैं, इसके अलावा गांवों में गोष्ठी के जरिए किसानों को जल का महत्व बताया जा रहा है. सरकार ‘गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में’ योजना पर भी काम कर रही है… आपको बता दें कि, सरकार द्वारा हाल ही में एक सर्वे कराया गया था, जिसमें ये बात सामने आई कि, गन्ने और धान की फसल को इतने पानी की जरूरत नहीं है, जितना उन्हें दिया जाता हैं.. यानि कि, गन्ने और धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी होती हैं। हालांकि, अगर बात गन्ने की करें, तो वेस्ट यूपी में गन्ना सिर्फ एक फसल नहीं है, बल्कि यहां के किसानों का कारोबार, और राजनीति तक गन्ने के इर्द-गिर्द ही घूमती है। हां वो बात अलग हैं कि, गन्ने के भुगतान के लिए यहां किसानों को काफी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं, मगर इसके बाद भी यहां के किसान गन्ने की खेती करना अपना अधिकार समझते हैं, तो वहीं, वेस्ट यूपी में भू-जल का ग्राफ सबसे ज्यादा गिरता जा रहा हैं.. ये भू-जलस्तर हर साल 91 सेंटीमीटर गिर रहा हैं, जिसे अगर वक्त रहते नहीं रोका गया तो हो सकता हैं, कि, आज जो स्थिति महाराष्ट्र के किसानों के सामने हैं, उसी स्थिति का सामना यूपी के किसानों को भी करना पड़े…
- महाराष्ट्र के अकोला जिले के 12 किसानों पर एचटीबीटी यानि की हर्बिसाइड-टोलरेंट कपास की बुआई करने के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार अकोला जिले के अडगांव और अकोली जहांगीर गांवों के किसानों ने 10 जून को एचटीबीटी कपास की बुआई की थी। जिसके चलते राज्य के कृषि विभाग की शिकायत पर हीवारखेड और अकोट पुलिस ने इस मामले को लेकर दो एफआईआर दर्ज की हैं.. हालांकि, अभी कुछ दिनों पहले ही एक किसान को बीटी बैंगन की खेती करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद अब महाराष्ट्र के 12 किसानों के खिलाफ एचटीबीटी कपास के बुआई करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है। आपको बता दें कि, केंद्र सरकार द्वारा आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित यानि की जेनेटिकली मोडिफाइड और बीटी यानि की बेसिलस थूरिंगिएनसिस कपास और बैंगन के बीजों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया हैं लेकिन इसके बावजूद भी किसान कम लागत और ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में आकर इसकी खेती करने से नहीं रूक रहे हैं। इसी के साथ, किसानों को इसकी खेती करने के लिए बढ़ावा देने वाले शेतकरी संगठन ने इस फसल पर लगे प्रतिबंध का विरोध करते हुए दावा किया है कि इससे किसानों को कम लागत पर अच्छी पैदावार मिलती है और किसानों को फायदा होता है… दोस्तो आपको बता दें कि, शेतकारी संगठन के बैनर तले राज्य के विभिन्न जिलों में किसान करीब पिछले पंद्रह दिनों से एचटीबीटी कपास की बुआई कर रहे हैं।
- गिरते जलस्तर और दिनों दिन बढ़ती पानी की बर्बादी को देखते हुए भारतीय वर्ल्ड ट्रेड कंपनी assocham ने बीते दिन innovative water solutions program का आयोजन नई दिल्ली में किया. इस प्रोगाम में जहां एक तरफ पानी की किल्लत से बचाव के लिए तमाम बड़ी कंपनियों ने वाटर रिस्टोर से लेकर वाटर हार्वेस्टिंग और save वाटर पर अपनी बात रखी तो वहीं पानी को बचाने की नई तकनीक और बाजार में उपलब्ध नए उपकरणों की जानकारी दी. इस प्रोगाम में मुख्य अतिथि के तौर पर आए भाजपा सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह सेखावत ने कहा की आज पानी की समस्या सबसे गंभीर विषय है जिससे छुटकारा पाने के लिए हम सबको आगे आना हो, क्योंकि जब तक ये समस्या जन-जन की आवाज नहीं बनेगी तब तक इस समस्या से निजात पाना मुश्किल है. साथ ही उन्होंने कहा की जब तक पानी बचाने की मुहिम में देश का हर एक किसान भागीदार नहीं होता तब तक पानी की समस्या हमारे आने वाले भविष्य के लिए काल बनी रहेगी, जरूरत है हमें एक बार फिर से जागने की जिन तालाबों, नदियों बावड़ियों को हमने खो दिया उनको जीवित करने की.
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