Kisan Bulletin 27th June 2019- सिर्फ 1 हजार रूपये में बोरिंग रिचार्ज

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Kisan Bulletin 27th June 2019-
- हरियाणा के एनएच-152 डी के लिए अधिग्रहीत जमीन के मुआवजे मामले को लेकर किसानों ने आज हरियाणा में 29 जगह रेल रोकने का फैसला लिया है। हालांकि, अगर किसानों के आज के आंदोलन के बाद सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो इसकी अगली कड़ी में किसान गुरूग्राम और दिल्ली का पानी रोकने पर मजबूर हो जाएंगे.. आपको बता दें कि, किसानों को देखकर प्रशासन ने भी धारा-144 लागू कर दी है.. जुलाना में किसानों की ओर से रेल रोकने के अल्टीमेटम के अंतिम दिन पुलिस प्रशासन ने मोर्चा संभालने का काम किया है। जुलाना के गांव किलाजफरगढ़ में बैठे किसानों के रेल ट्रैक जाम करने और रेल रोकने के अल्टीमेटम के बाद प्रशासन हरकत में आ गया। 8-9 पुलिस फोर्स की बसें जुलाना पहुंच चुकी है। लगभग साढ़े तीन सौ पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी गई है। दरअसल, एनएच-152 डी के लिए जिले के 17 गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। किसानों का कहना है कि पुराने रेट के अनुसार किसानों को मुआवजा मान्य नहीं है। सरकार को नए रेट के अनुसार अवार्ड घोषित करना चाहिए। और बस अपनी इसी मांग को लेकर जिले के 17 गांवों के किसान 26 फरवरी से धरने पर बैठे है.. किसान नेता रमेश दलाल का कहना है कि किसान न्याय के इंतजार में पिछले 75 दिनों से जुलाना में आंदोलन कर रहे हैं। पूरे हरियाणा में रेल रोकने के लिए 29 पाॅइंट्स तय किए गए हैं। अगर पुलिस ने जुलाना में किसी भी प्रकार की ज्यादती की तो हरियाणा में बाकी जगह रेलों को रोका जाएगा। रविवार को यह पहले ही तय किया जा चुका है कि महिलाएं रेल रोकने की कमान को संभाल रही हैं आज रेल रोकने के बाद दिल्ली और गुरुग्राम जाने वाली नहर का पानी रोका जाएगा। साथ ही किसानों ने आज के बाद कभी भी संसद घेराव की चेतावनी भी दी हुई है। आपको बता दें कि, संसद घेराव की जिम्मेदारी 224 महिला संगठनों ने ली है।
- उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से सटे गंगा किनारे रमना गांव के किसान रामधारी सिंह ने खेती को घाटे से फायदे का सौदा बना दिया है.. आज वो सिर्फ खेती के बल पर न केवल अपने परिवार का खर्चा चला रहे हैं बल्कि सब्जी की खेती से वो सलाना लाखों रुपये की बचत भी कर लेते हैं। वो बताते हैं कि अगर सेम की खेती ही अच्छी निकल गई तो समझो शादी समारोह का खर्च भी निकल आया। और सिर्फ रामधारी ही नहीं बल्कि इस गांव में छोटे-बड़े सभी किसान पूरी शान से अपना घर चला रहे हैं। जिसके पास पांच बिस्वा भी खेत है, वो भी सब्जी की खेती कर आराम से अपना घर चला लेता है। और तो और इस गांव सिर्फ सब्जी की खेती से ही करीब 20 करोड़ की कमाई हो जाती है.. इतना ही नहीं, पिछले 5 सालों में सरकार ने किसानों के लिए जितनी भी योजनाएं लागू की है.. उनसे इस गांव के किसानों ने काफी फायदा उठाया है.. दोस्तो रमना गांव को बनपुरवां के नाम से भी जाना जाता है.. यहां की सब्जी शहर के साथ ही कई इलाकों व मंडियों में भेजी जाती है.. किसान रामधारी के मुताबिक, शहर के करीब आधे हिस्से तक इस गांव की सब्जियां पहुंचती हैं। यही नहीं, कोलकाता तक यहां की सब्जी भेजी जाती है। आपको बता दें कि, गांव में नमामि गंगे प्रोजेक्ट की मदद से करीब डेढ़ सौ वर्मी कंपोस्ट प्लांट बनाए गए हैं। इससे किसान केंचुआ खाद या वर्मी कम्पोस्ट बना रहे हैं। केंचुओं के इस्तेमाल से व्यापारिक स्तर पर खेत पर ही कम्पोस्ट बनाया जाना संभव है। इस विधि द्वारा कम्पोस्ट मात्र 45 से 75 दिनों में तैयार हो जाता है। किसान हर रोज के कूड़ा-करकट को एक अच्छी खाद वर्मी कम्पोस्ट में बदल रहे हैं। रमना गांव के किसान अपनी मेहनत के चलते वाकई में सभी के लिए प्रेरणा बन गए हैं। हालांकि, इसको लेकर एक सर्वे भी किया गया, जिसमें पता चला है कि, यहां के किसान सेम, बोड़ा, बैगन, भिंडी, लौकी, तोरी आदि सब्जियों से हर साल 20 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।
- आमतौर पर गर्मी के दिनों में भू-जल स्तर गिरने से घरों और खेतों के बोरिंग में पानी आना बंद हो जाता है., और फिर बोरिंग को रिचार्ज कराने में काफी खर्च आता है.. लेकिन हम आपको बता दें कि, धार जिले के बिजुर गांव में रहने वाले एक युवा किसान ने बोरिंग रिचार्ज के लिए सस्ता और आसान तरीका ढूंढ निकाला है.. दोस्तो इस किसान दिनेश कामधान ने सिर्फ 55 बीघा खेत में 6 बोरिंग किए हुए हैं.. जिनमें से करीब 3 बोरिंग खेत की निचली सतह में हैं.. जिनमें बारिश का पानी व्यर्थ बहकर चला जाता है.. आपको बता दें कि, इन्ही में से एक बोरिंग को किसान दिनेश पिछले साल नई तकनीक से रिचार्ज किया और अब पानी भी मिल रहा है… एक बार सफलता मिलने के बाद अब निचली सतह पर बचे दो बोरिंग में इस साल बारिश से पहले किसान ने रिचार्ज करने की व्यवस्था की हैं.. ताकि, बोरिंग से रही फसल में भरपूर पानी मिल सके.. दरअसल, देश में बढ़ती पानी की समस्या को देखते हुए किसान दिनेश ने इस नई तकनीक को खोज निकाला हैं,, किसान ने खेत का पानी खेत में फसल आए चैत में के नारे को बढ़ावा देते हुए ये कोशिश की है.. आपको बता दें कि, किसान ने सबसे पहले नितली सतह वाले बोरिंग के आसपास 3 फिट का गड्ढ़ा किया फिर उसके बाद केसिंग पाइप में दो फिट की लंबाई में ड्रिल मशीन से गोलाई में 70-80 एक इंच छेद कर दिए और इन छेदों को बारीक जाली से बंद कर दिया ताकि, बारिश के दौरान मिट्टी केसिंग के अंदर ना जाए.. और इस काम में किसान के मात्र एक हजार रूपये ही खर्च हुए.. किसान दिनेश के मुताबिक, बोरिंग रिचार्ज की यह सस्ती और आसान तकनीक है। और अन्य किसान भी चाहे तो बोरिंग रिचार्ज के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है..
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