Kisan bulletin 25th June 2019- मध्य प्रदेश में लागू होगा राइट टू वॉटर एक्ट

Kisan bulletin 25th June 2019-
- दिनों दिन गहराते जल संकट को लेकर कर्नाटक के किसानों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. आपको बता दें जहां एक तरफ आज हमारे देश में कोई भी ऐसा राज्य नहीं बचा है जो पानी की समस्या से जूझ नहीं रहा. वहीं खेतों की सिंचाई के लिए कर्नाटक के किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करते हुए धरने की शुरुआत कर दी. आपको बता दें की मांड्या जिले में धरने पर बैठे किसानों की मांग है कि कावेरी और हेमवती नदियों का पानी वहां की नहरों में छोड़ा जाए. वहीं किसानों की मांग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एची डी कुमारस्वामी का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं हैं. क्योंकि इस मामले में केंद्र सरकार ही निर्देश जारी कर सकती है. जाहिर है नहरों में पानी न छोड़े जाने के चलते जहां एक तरफ फसलें सूख रही हैं तो वहीं फसलों की बुवाई नहीं हो पा रही है. जाहिर है पानी की समस्या आज के समय में हर राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. जिसको लेकर आए दिन किसान और आम इंसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं. हालांकि हम अपनी तरफ पानी बचाने की कोई कोशिश नहीं करते, यही वजह है की आज वाटर लेवल दिनों दिन कम होता जा रहा है, ऐसे में हमारी भी जिम्मेदारी बनती है की हम पानी को बेकार न जानें दें जिससे इस तरह की परेशानियों को खत्म किया जा सके.
- मौसम विभाग की तरफ से राजस्थान के जालौर जिले में आने वाली 26 तारीख से किसानों को सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है. आपको बता दें की 26 जून से मध्यम गति की हवा पश्चिमी दक्षिणी दिशा से चलने और आसमान में बादल छाए रहने के साथ हल्की बूंदा बांदी की भी संभावना मौसम विभाग ने जताई है. साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र के केशवाना के वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है. मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए सब्जी व चारा वाली फसलों में सिंचाई कुछ समय के लिए रोकने और उन पर किसी भी तरह का रासायनों का छिड़काव न करने की सलाह दी गई है. वहीं विभाग ने कहा है की जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में बारिश हुई है वो मूंगफली की बुवाई के लिए 10 से 15 टन प्रति हेक्टर की दर से गोबर की खाद या कम्पोस्ट को अपने खेतों में डाल सकते हैं. जाहिर है, मौसम में बदलाव और बारिश के चलते जहां खेतों में हाल ही में बोई गई बीज खराब होने का डर रहता है तो वहीं दूसरी तरफ बारिश के चलते रसायनिक खाद भी बेअसर हो जाती है. ऐसे में मौसम में बदलाव होने और बारिश होने तक फसलों पर इनका इस्तेमाल करना फायदेमंद नहीं होता.
- दोस्तो.. वैसे तो पानी की समस्या पूरी दुनिया में ही धीरे धीरे फैलती नजर आ रही हैं, लेकिन अगर बात करें हमारे देश की तो.. देश के कई राज्य़ों में इस समय पानी की समस्या ने अपना विकराल रूप ले लिया है.. यानि की, वो दिन दूर नहीं जब हम लोग बस एक बूंद पानी के लिए भी लड़ते-मरते फिरेंगे.. जहां, कर्नाटक में किसान पानी के लिए धरना दे रहे हैं तो वहीं मध्य प्रदेश में पानी की समस्या से निपटारा पाने के लिए right to water act यानि की पानी के अधिकार का कानून लागू किया जा रहा हैं.. आपको बता दें कि, भोपाल के मिंटो हॉल में बीती 24 जून को एक सेमिनार का आयोजन किया गया था… इस सेमिनार में जल स्तर को कैसे बढ़ाया जाए,, कैसे पानी की बचत की जाए.. इन सब जरूरी मुद्दों को लेकर चर्चा की गई.. और बस इसी के चलते मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थय यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने ये ऐलान किया कि, मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राजय् होगा जहां पानी का अधिकारी का कानून लागू किया जाएगा.. खैर कुछ और जानकारी देने से पहले हम आपको बताते हैं कि, आखिर क्या है पानी के अधिकार का कानून.. दरअसल, पानी का अधिकार कानून में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कई ठोस नियम और प्रावधान होंगे.. इस कानून के तहत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, हर दिन एक इंसान को 55 लीटर पानी दिया जाएगा.. हालांकि, पानी की समस्या को देखते हुए देश में जगह-जगह अभियान चलाए जा रहे हैं, कहीं, पानी की बचत को लेकर कैंप लग रहे हैं तो कहीं लोगों को पानी का महत्व समझाया जा रहा हैं… और तो और हरियाणा सरकार ने तो कुछ दिनों पहले ही पानी की बचत के लिए किसानों को धान की खेती ना करने पर 2,000 रूपये प्रति हेक्टेयर देने की योजना भी लागू की थी.. लेकिन इसके बावजूद भी ना तो पानी की बर्बादी रूक रही हैं.. और ना ही इसका सदुपयोग बढ़ रहा हैं.. ऐसे में ये सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि हमारी भी जिम्मेदारी बनती हैं.. कि, हम पानी की बचत करें, जो पानी दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता हैं, उसका सदुपयोग करें..
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