October 1, 2023

Grameen News

True Voice Of Rural India

Kisan bulletin 18th June 2019- फसल बीमा को स्वैच्छिक बनाएगी सरकार

Kisan bulletin 18th June 2019
Sharing is Caring!

Kisan Bulletin 18th June-

  1. हरियाणा के कृषि विभाग मुख्यालय ने जल ही जीवन है अभियान के तहत मक्का और धान की सीधी बिजाई के लिए पंजीकरण की अवधि को अब और बढ़ा दिया है.. आपको बता दें कि, प्रदेश में मक्के की बिजाई के लिए पंजीकरण की आखिरी तारीख 24 जून तय की गई हैं, तो वहीं धान की बिजाई के लिए किसान 30 जून तक पंजीकरण करा सकते हैं.. ऐसे में कृषि अधिकारियों का कहना है कि, पंजीकरण के बाद ही किसानों को निशुल्क बीज और अनुदान राशि का फायदा मिल सकेगा. इसी के साथ आपको ये भी बता दें कि, हरियाणा सरकार ने पानी के संरक्षण के लिए जल ही जीवन है योजना शुरू की है. इस योजना के तहत किसानों को कम सिंचाई वाली फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। और बस इसी के चलते कृषि विभाग मुख्यालय ने कृषि अधिकारियों को धान के स्थान पर मक्का की खेती को बढ़ावा देने के आदेश दिए हैं, जानकारी के अनुसार, मुख्यालय ने गोहाना तहसील में 2750 एकड़ भूमि पर मक्का की खेती करवाने का लक्ष्य दिया है। हालांकि, अधिकारियों को 15 जून तक किसानों का पंजीकरण करवाना था। मगर तय तारीख तक विभाग का टारगेट पूरा नहीं हुआ। इसके चलते मुख्यालय ने अब मक्का की पंजीकरण की तारीख को बढ़ाकर 24 जून कर दिया है। ऐसरे में अधिकारियों का कहना है कि किसानों को मक्का और धान की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित करने के लिए कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं। जबकि, कर्मचारी प्रत्येक गांव में जाकर किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। दोस्तो आपको बता दें कि, हरियाणा ऐसा पहला राज्य हैं जो प्रदेश के किसानों को धान की खेती ना करने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करा रहा हैं. हालांकि, पानी की समस्या केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि देशभर में देखने को मिल रही है. ऐसे में सरकार के साथ-साथ हमारा भी फर्ज बनता हैं कि, हम पानी के बर्बाद होने से बचाएं और पानी की बचत करें
  2. जहां एक तरफ उत्तर भारत में प्री-मॉनसून की बारिश शुरू हो चुकी है, तो वहीं दूसरी तरफ मौसम को देखते हुए किसान भी अब खरीफ सीजन की बुआई की तैयारी में जुट गए है. जिसके चलते मध्य प्रदेश के खंडावा जिले की सहकारी संस्था में खाद-बीज लेने की लिए किसानों की भीड़ लग रही है, आपको बता दें कि, रोजाना संस्था से 200 से ज्यादा बोरी खाद किसान ले जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि, उन्होंने बुआई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं। और अब अच्छी बारिश होने के बाद बुआई शुरू कर देंगे। तो वहीं सहकारी संस्था प्रबंधकों ने बताया किसानों को खाद की कमी न आए। इसलिए उन्होंने भी पहले से स्टॉक जमा कर लिया है। किसानों को संस्था के माध्यम से यूरिया, डीएपी, पोटाश और सुपर खाद दिया जा रहा है। इसी के साथ आपको बता दें कि, किसानों को यूरिया 266 रुपए, डीएपी 1400 रुपए, पोटाश 945 और सुपर 307 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से दिया जा रहा है।
  3. जैसा कि आप जानते ही हैं कि, बैंकों से फसली ऋण लेने वाले किसानों का बीमा कराना अनिवार्य है. जिसके चलते ज्यादातर किसान बीमा कराने को फायदे का सौदा नहीं मानते है.. लेकिन सरकार अब फसली इसका दायरा बढ़ाने के लिए फसली बीमा को स्वैच्छिक बनाने की तैयारी में है। यानि कि अब किसानों को फसली ऋण लेने के लिए बीमा कराने की जरूरत नहीं होगी, आपको बता दें कि, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक बनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही के बाद जल्द ही इसका ऐलान कर दिया जाएगा. हालांकि, मंत्रालय ने अपने इस फैसले को भी सरकार के 100 दिन की कार्य योजना में शामिल किया है. अधिकारी के मुताबिक, फसल बीमा को स्वैच्छिक करने से किसान या किसान संगठन जागरूक होंगे। और साथ ही, मौसम, स्थानीय स्थिति और फसल के हिसाब से खतरे का अनुमान लगाएंगे और अगर जरूरी होगा तो ही फसल बीमा लेंगे। इसके लिए बैंकों को भी जरूरी निर्देश दिए जाएंगे, ताकि वे फसल ऋण लेने वाले किसानों पर बीमा कराने का दबाव न डाल सकें। आपको ता दें कि, अभी फसल बीमा के प्रीमियम के निर्धारण में सरकार का दबाव ज्यादा रहता है, लेकिन नए नियम लागू हुए तो बीमा कंपनियां अपने हिसाब से जोखिमों का आकलन करेंगी और उसी आधार पर प्रीमियम निर्धारित होगा। ऐसे में फसली बीमा का प्रीमियम पर खर्च बढ़ सकता है। और इसका सीधा असर किसानों के साथ सरकार पर भी होगा, क्योंकि किसान रबी फसल में कुल प्रीमियम का डेढ़ फीसदी और खरीफ में दो फीसदी ही देता है। बाकी भुगतान केंद्र और राज्य सरकारें आधा-आधा करती हैं। फसल ऋण के साथ बीमा अनिवार्य होने पर फिलहाल किसानों को कर्ज देने वाले बैंक ही अमूमन उसका बीमा भी कर देते हैं। जबकि, दूसरी ओर, जो किसान बैंक से कर्ज लिए बिना खेती करते हैं, उन्हें फसली बीमा पाने के लिए काफी जहमत उठानी पड़ती है। जाहिर हैं. अगर फसली बीमा की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी तो जो किसान बिना बैंक से कर्ज लिए खेती करते हैं उनके लिए भी फसली बीमा पाना काफी आसान हो जाएगा..

 

Grameen News के खबरों को Video रूप मे देखने के लिए ग्रामीण न्यूज़ के YouTube Channel को Subscribe करना ना भूले  ::

https://www.youtube.com/channel/UCPoP0VzRh0g50ZqDMGqv7OQ

Kisan और खेती से जुड़ी हर खबर देखने के लिए Green TV India को Subscribe करना ना भूले ::

https://www.youtube.com/user/Greentvindia1

Green TV India की Website Visit करें :: http://www.greentvindia.com/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © Rural News Network Pvt Ltd | Newsphere by AF themes.