Kisan Bulletin 15th May 2019- गन्ने की इस प्रजाति से किसान की आय दोगुनी

Kisan Bulletin 15th May 2019-
देश के अधिकांश हिस्से में जहां एक तरह गेहूं की कटाई अब 25 प्रतिशत रह गई है, वहीं छोटे और मझले किसानों के लिए मौसम का बदलता रुख परेशानियां खड़ी कर रहा है. जहां एक तरह बीते दिन आई आंधी और हल्की बूंदाबांदी की वजह से किसानों की खेत में खड़ी फसल को नुकसान होने का डर सता रहा है. वहीं किसानों का खेत में पड़ा भूसा सुरक्षित जगह पहुंचाने की कोशिश जारी है. आपको बता दें उत्तर प्रदेश के इटावा क्षेत्र में अभी भी 25 प्रतिशत से ज्यादा गेहूं की फसल किसानों की खेत में खड़ी है. साथ ही अनेकों किसान ऐसे हैं जो अभी तक अपने भूसे को सही तरीके से सहेज नहीं पाए हैं. ऐसे में मौसम में आया बदलाव किसानों की चिताओं की लकीरों को बढ़ा रहा है. जहां एक तरह तेज आंधी से किसानों को खेत में पड़ा भूसा उड़ने का डर सता रहा है तो वहीं बारिश का डर खेत में खड़ी फसल को खराब कर सकती है. ऐसे में किसान जल्द से जल्द अपनी गेहूं की फसल की मढ़ाई और कटाई कराने के काम में लगे हैं.
जहां एक तरह उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर चीनी मिल के बेवक्त बंद होने से गन्ना किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं, वहीं दूसरी तरह सही वक्त पर किसानों के गन्ने का भुगतान नहीं किया जा रहा. ऐसे में बरेली में किसानों को गन्ना विभाग अर्ली प्रजातियों को बोने की सलाह दे रहा है, गन्ना विभाग की मानें तो उनका कहना है की किसानों को अधिक उपज की प्रजातियों का गन्ना बोने और उसके साथ सहफसली खेती करनी चाहिए, ताकि आमदनी दो गुनी करने में मदद हो सके. आपको बता दें की तमिलानाडु की कोयंबटूर की 0238 अर्ली प्रजाति इस समय किसानों में बहुत पसंदी की जा रही है. इस प्रजाति के गन्ने की उपज 800 क्विंटल से 2/800 क्टिंवट प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड में लगभग 70 फीसदी किसानों ने इसी प्रजाति के गन्ने की बुवाई की है. जिससे आने वाले सीजन में गन्ने के उत्पादन और बेहतर होने के आसार हैं. जाहिर है जहां एक तरह गन्ना विभाग किसानों के लिए गन्ने की अर्ली प्रजातियां लाकर गन्ने की खेती बेहतर करने के सुझाव देता है. वहीं चीनी मिलों की धांधली और देरी से भुगतान के चलते अधिकांश गन्ना किसान परेशान रहते हैं.
रांची के पलामू जिला के हुसैनाबाद प्रखंड में जहां इस समय जहां किसानों ने इस समय पिपरमिंट की खेती की है, वहीं इस खेती के चलते उन्हें अब मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. आपको बता दें की किसानों की सहकारी समूह वीर कुंवर सिंह, कृषक सेवा समिति ने अपनी 30 एकड़ जमीन पर पिपरमिंट की खेती की है. करीब 45 डिग्री तापमान वाले इस इलाके में किसानों के लिए पिपरमिंट के पौधे को हरा-भरा रखना मुश्किलों भरा हो रहा है. हालांकि किसानों को उम्मीद थी की राज्य सरकार उन्हें प्रोसेसिंग प्लांट का खर्द देगी जिसके जरिए वो पिपरमिंट का तेल निकाल कर उसे खुले बाजार में बेंच सकेंगें. वहीं समिति के अध्यक्ष प्रियरंजन सिंह की मानें तो उनका कहना है की अभी तक सहकारिता विभाग ने प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के संबंध में समिति को प्रस्ताव की मंजूरी नहीं दी है. जिसके चलते प्रोसेसिंग प्लांट नहीं हो पा रहा है. जिससे अब किसानों को प्रति एकड़ लगभग एक लाख रुपये तक का नुकसान हो सकता है.
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