Kisan bulletin 14th June 2019- जीरो बजट खेती को बढ़ावा देगी केंद्र सरकार

Kisan bulletin 14th June 2019-
- एक तरफ जहां देश में पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ कई राज्यों के किसान जमकर उठा रहे हैं.. तो वहीं दिल्ली, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और लक्षद्वीप के एक भी किसान को इसका फायदा नहीं मिल पाया है.. दरअसल, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के अनुसार, ये सरकारें जान बूझकर किसान सम्मान निधि के लिए सूची नहीं भेज रही.. और यही वजह है कि, इन राज्यों के किसानों को पीएम किसान योजना के तहत 6000 रुपये नहीं मिल रहे हैं.. आपको बता दें कि, कुछ राज्य सरकारें इस स्कीम में सहयोग नहीं कर रही हैं,,, जिसके चलते उन राज्य के किसान इस योजना से वंचित रह गए हैं.. इस पर कैलाश चौधरी का कहना है कि, किसानों को 6000 रुपये का लाभ न देने का ही परिणाम है कि, विधानसभा चुनाव में जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी उन्हीं राज्यों में लोकसभा चुनाव के दौरान ज्यादातर सीटें बीजेपी के हक में गई थी.. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने ये भी कहा कि, इसके पीछे वजह ये है कि, कांग्रेस सरकारों ने किसानों के साथ धोखा किया… और किसानों का कर्जा माफ नहीं किया। साथ ही, लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकारों ने भी किसी किसान का नाम इस स्कीम का लाभ लेने के लिए नहीं भेजा था। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र का काम पैसा भेजना है, किसानों का ब्योरा पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड करना राज्यों का काम है. जो राज्य ब्योरा नहीं भेज रहे हैं उन्हें केंद्र सरकार भी पैसे नहीं भेज पा रही है.. दिल्ली और पश्चिम बंगाल के किसान इससे वंचित हैं तो इसकी वजह इन राज्यों की सरकारें ही हैं..
- मौसम की जानकारी देने वाली भारत की निजी कंपनी स्काईमेट ने हाल ही में खरीफ की फसल को लेकर एक रिपोर्ट जारी की हैं… इस रिपोर्ट के तहत मॉनसून को लेकर पूर्वानुमान औऱ उसका खरीफ की फसलों के उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी जानकारी दी गई हैं.. आपको बता दें कि, स्काईमेट की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मॉनसून की बारिश सामान्य से कम होने की संभावना है.. जहां एक तरफ इस बार पूर्वी भारत के साथ-साथ मध्य भारत के एक बड़े हिस्से में कम बारिश होने की आशंका है। तो वहीं दूसरी तरफ बिहार,झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ साथ विदर्भ,मराठावाड़ा और मध्यप्रदेश के दक्षिणी भागों में भारी बारिश होने के आसान नजर आ रहे है। इसी के साथ, देश के 66 जिलों में मॉनसून की स्थिति सामान्य से भी कम रहने वाली है.. आपको बता दें कि, देश के खाद्यान्न उत्पादन में सबसे ज्यादा हिस्सा खरीफ की फसलों का माना जाता है। और मॉनसून में होने वाले बदलावों का सीधा असर खरीफ की फसलों के कुल उत्पादन पर पड़ सकता है.. कपास का उत्पादन 2019-20 में 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। तो वहीं राष्ट्रीय मोर्चे पर कपास का रकबा 2.7 प्रतिशत बढ़कर 12.57 मिलियन हेक्टेयर होने की उम्मीद जताई जा रही है। तो वहीं धान का उत्पादन इस खरीफ सीजन में लगभग 4 प्रतिशत घटकर 97.78 मिलियन टन रहने की संभावना है। एक साल पहले देश में 101.96 मिलियन टन धान का उत्पादन हुआ था। स्काईमेट के अनुमान और मानसून की स्थिति के अनुसार इस सीजन धान की राष्ट्रीय औसत उपज लगभग 2545 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने की उम्मीद है।
- साल 2022 तक किसानों को किया वादा निभाने की कोशिश में जुटी केंद्र सरकार हर मुमकिन कोशिश करने में जुट चुकी हैं.. और बस इसी को लेकर अब खेती के लिए सस्ता कर्ज मुहैया कराने को प्राथमिकता दी जा रही है। आपको बता दें कि, देश के नए कृषि मंत्री बने नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने 100 दिनों के एजेंडा में किसानों को आसानी से क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने को सबसे ऊपर तवज्जो दी है.. और इसी लिए राज्यों से बातचीत में तोमर ने उन्हें 100 दिनों के भीतर एक करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड देने का लक्ष्य पूरा करने को कहा है.. कृषि मंत्री ने राज्यों से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में किसानों के नामांकन की रफ्तार को तेज करने का आग्रह किया है। राज्यों के कृषि मंत्रियों से बातचीत में तोमर ने कहा कि, बुजुर्ग किसानों को पेंशन देने की योजना को लोगों तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाए जाएं। उन्होंने कहा कि, इसके लिए किसानों में जागरूकता अभियान चलाना होगा, जिसके लिए राज्यों को पहल करनी होगी। आपको बता दें कि, किसानों के हित के लिए सरकार उन्हें हर तरह की मदद करने को तैयार है।
- कृषि को बढ़ावा देने और किसानों की आय में इजाफा करने के लिए केंद्र सरकार जीरो बजट खेती को बढ़ावा देने जा रही है. आपको बता दें की बीते दिन नीति आयोग के साथ हुई बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इसकी जानकारी दी, साथ ही इस बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी मौजूद रहे. इस दौरान जीरो बजट की खेती के जानकार सुभाष पालेकर और विजय कुमार भी बैठक का हिस्सा रहें. इस बैठक की जानकारी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ट्वीट कर दी. आपको बता दें कि जीरो बजट खेती को पालेकर खेती के नाम से भी जाना जाता है. जोकि खेती-किसानी की एक विधि है, जिसमें शून्य लागत पर किसानों को खेती करना सिखाया जाता है. इस पद्धति को महाराष्ट्र के विदर्भ के किसान वैज्ञानिक सुभाष पालेकर ने विकसित किया है. जिसमें उनकी 15 सालों की रिसर्च शामिल है. सुभाष पालेकर पिछले 20 सालों से लगातार शून्य लागत पर बेस प्राकृतिक कृषि की खेती का प्रशिक्षण भी रहे हैं. यही वजह है कि इस विधि की खेती को अपना कर लाखों किसान बिना लागत के खेती से अपनी आय बढ़ाते हुए मुनाफा कमा रहे हैं… आपको बता दें कि, साल 2016 में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया था
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