उत्तर प्रदेश के गौशालाओं की हकीकत देख पसीज जाएगा आपका दिल

उत्तर प्रदेश के गौशालाओं की हकीकत देख पसीज जाएगा आपका दिल
चुनावों का शोर खत्म होने के साथ ही गोरक्षा का शोर भी कही थम सा गया है,तभी तो दुखद बात है कि कोई भी गायों को बचाने की बात कोई नहीं कर रहा, आवारा पशु अभी भी रोड पर खेतो में घूम रहे है, जबकि शासन ने इनसे निपटने के नाम पर यूपी में जगह-जगह गोशालाएं और गोसदन तो खोल दिए गए लेकिन बदइंतजामी का आलम है कि गायें तब भी मर रही थी अब भी मर रही है और ये हम नहीं हमारी यह रिपोर्ट कह रही है
उत्तरप्रदेश में अब तक सौकड़ो गौशालाओं का निर्माण हो चुका है, इसी तरह पहले भी हमने एक गौशाला की हकीकत आप तक पहुंचाई थी…चलिए आज हम आपको प्रदेश के ही कुशनीनगर के कप्तागंज, रामकोला,हाटा ब्लाक के में मौजूद कुछ गौशालाओं का हाल बताते हैं..
प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जो गायों के प्रति अपना प्रेम अक्सर दिखाते दिख ही जाते हैं, चाहे वह गोरखपुर मठ में बने गौशाला की हो या फिर लखनऊ में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में रहने वाली गायों की,तभी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्ही प्रेम और लगातार गायों,बछड़ो,बैलों की चोरी छुपे कसाईयो के यहां इनके वध या फिर किसानों के खेतों में चर जाना फिर बड़ी दुःखद समस्या रोड पर दुर्घटना का शिकार हो जाना या लोगो को कर देना इन्ही शिकायत के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में किसानों और लोगो की दिक्कतों को देखते हुए पूरे प्रदेश में 516 पंजीकृत और 4,149 अस्थायी गोशाला का निर्माण करवा डाले, आपको बता दे कि 31 जनवरी, 2019 तक प्रदेश में निराश्रित पशुओं की संख्या सात लाख 33 हजार 606 थी. जोकि यूपी पशुपालन विभाग के सरकारी आंकड़े है जो 3 लाख पशुओं को इन्हीं गो-सदनों में संरक्षित किया गया है, मुश्किल यह है कि गोसदन में गाय तो रख दी गईं, लेकिन जून जुलाई की गर्मी में चारे-पानी की व्यवस्था नहीं की गई,तभी तो कुशीनगर का कप्तानगंज तहसील में बने दो गऊ सदन में बंदइतजामी से गायों,बछड़ो, बेलो की मौतों का सिलसिला जारी है, और इसी विधानसभा के भाजपा से स्थानीय विधायक रामानंद बौद्ध ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर जहा बंदइतजामी की बात कही है. वहीं कान्हा गऊ सदन में बीमार पड़े पशुओं को जिंदा दफना देने की बात इस पत्र में कही गई है.
स्थानीय विधायक रामानंद बौद्ध की कही बात की हकीकत को जब हमारी टीम ने कप्तानगंज के बने गउ शाला जा कर हकीकत देखी तो कही न कही विधायक की बातों में सच्चाई दिखी,बीमार पड़े कई जानवर मानो अपनी मौत का इन्तेजार कर रहे हो, 46डिग्री की कड़ी धूप में जानवर पड़े हुए थे न पानी की व्यवस्था न उचित खाने की बल्कि कैमरा देख गायों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों की नज़र पड़ी तो जानवरों को धूप से हटाने का प्रयास किये पर धूप में बैठे बैठे जानवर सुस्त पड़ चुके थे ऊपर से बीमार भी थे बल्कि ग्राउंड में जगह जगह जानवर के आकार के गड्ढे जो हाल ही में भरे दिख रहे थे,जो विधायक की बातों में कही न कही सचाई दिखा रही थी जो एक जांच का विषय भी है कि इतनी अच्छी योजना को आखिर इतने सुस्त तरीके से क्यों चलाया जा रहा है ।
जहां एक तरफ यूपी सरकार के विशेष बजट में गोशालाओं के निर्माण और रखरखाव के लिए 248 करोड़ का बजट पास कर सभी जिलों को आवंटित भी किया गया, वहीं इससे पहले ये रकम महज महज 60 करोड़ रुपये थी, इससे पहले योगी सरकार ने 16 नगर निगमों को 10-10 करोड़ का बजट कान्हा उपवन और चारे के लिए दिया था,
चलिए अब हम आपको दिखाते हैं कुशीनगर में ही मौजूद रामकोला कान्हा गउ शाला की सच्चाई, जहां 26 जानवर है रख रखाव भी काम चलाऊ है तभी तो इस कि देख रेख करने वाले कर्मचारी मानते है कि कमी तो है पर क्या करे अधिकारी जो देते है जो कहते है वह करते है,आपको बता दे कि रामकोला कान्हा गऊ सदन में 26 जानवरों को आधा ही चारा दिया जाता है,जो जानवरो के स्वास्थ्य के लिए भरपूर नही है,पूरा बजट मिलने के बावजूद इस लापरवाही को अधिकारी कैसे छुपाते है यह सुनवाते है लेकिन उससे पहले रामकोला कान्हा गऊ सदन की देख रेख करने वाले तीर्थ राज की बात सुन ले कि अधिकारी कितना झूठ बोलते है ।
कहते है कि जब सच में गऊ की सेवा की भावना हो तो सरकारी बजट का कितना सदुपयोग होता है यह कुशीनगर के हाटा विधानसभा में बने कान्हा गउ शाला को देख के अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।
साफ सुथरी जगह,भूसा से भरा भंडार,गायों के लिए लगे पंखे यह साबित करते है कि अगर नियत सेवा और योजना को सही से लागू करना हो तो शायद यह बात कुशीनगर के हाटा विधानसभा में बने कान्हा गऊ शाला को देख के लगाया जा सकता है कि शायद कुशीनगर के अन्य जगहों पर बने कान्हा गऊ शाला कही योगी आदित्यनाथ की सेवा भाव वाली योजना को कही कमाने का जरिया न समझे सड़को और खेतों में घूमते जानवरो को अधिकारी इन कान्हा गऊ शाला तक लाये जो सरकार सरकारी फंड दे रही है करोड़ो रूपये का उसको दुरपयोग न कर सेवा भाव मे लगाए ।
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