October 2, 2023

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Kisan Bulletin 3rd Aug 2019-स्वतंत्रता दिवस पर किसानों को तोहफा

Kisan Bulletin 3rd Aug 2019

Kisan Bulletin 3rd Aug 2019-स्वतंत्रता दिवस पर किसानों को तोहफा

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Kisan Bulletin 3rd Aug 2019-

आने वाली 15 अगस्त को मोदी सरकार किसानों के लिए पेंशन योजना की शुरूआत करने जा रही है। आपको बता दें कि, इस स्कीम को अंतिम रूप दे दिया गया है। और 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री मोदी इस योजना की शुरूआत करेंगे। जिसके चलते कृषि सचिव ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर स्कीम लागू करने के लिए मैकेनिज्म तैयार करने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाली पेंशन के फंड को एलआईसी बैंक द्वारा मैनेज किया जाएगा। अगले हफ्ते से इसके लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत हो सकती है। वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के अनुसार इस स्कीम में राज्य सरकारों का पूरा सहयोगा लिया जाएगा। राज्यों को कहा गया है कि वे ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए सहयोग दें। केंद्र सरकार इसका पूरा जिम्मा लेगी और राज्य सरकारों पर किसी प्रकार का वित्तीय बोझ नहीं डाला जाएगा। आपको बता दें कि, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार की मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किसानों के लिए एक अलग पेंशन योजना को मंजूरी दी है। इसका मकसद पहले तीन साल में 5 करोड़ लाभार्थियों को इस योजना के दायरे में लाना है। इससे सरकारी खजाने पर 10,774.5 करोड़ सालाना बोझ पड़ेगा। इस पेंशन स्कीम के तहत किसानों को 60 साल होने के बाद 3000 रुपये बतौर पेंशन देने का प्रा‌वधान किया गया है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने लोकसभा में साल 2014-2015 के बीच किसान आत्महत्या के आंकड़ो की जानकारी दी, जिसके अनुसार, देश मे कर्ज और फसल बर्बाद होने से परेशान होकर 24 हजार किसानों ने आत्महत्या की थी। तो वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना सरकार ने पिछले एक साल के अंदर राज्य में आत्महत्या करने वाले 243 किसानों के परिवार को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आपको बता दें कि, गुरूवार को राज्य सरकार की ओर से 14.58 करोड़ रूपये का फंड जारी किया गया है। हर किसान के परिवार को6 लाख रुपये दिए जाएंगे, सरकार के अनुसार, नलगोंडा में 45, खम्मम में 32, संगारेद में 20 किसानों ने आत्महत्या की है। हालांकि, बात अगर देशभर की करें, तो साल 2016 के बाद से किसानों की आत्महत्या के आंकड़े केंद्र सरकार के पास नहीं हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि, अगर इस साल तक के आंकड़े जुटाएं जाए तो ये संख्या काफी ज्यादा हो सकती है। एडीएसआई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014-2015 में 5650 किसानों ने आत्महत्या की थी। इन आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना में सबसे ज्यादा किसानों ने जान दी थी। जबकि, सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इन राज्यों की तुलना में किसानों की आत्महत्या के कम मामले सामने आए हैं, यूपी में 2014 में 192 और 2015 में  324 किसानों की मौत हुई

नेशनल हाईवे ग्रीन कॉरिडोर 152 डी के लिए अधिग्रहीत जमीन के मुआवजा की मांग को लेकर पिछले पांच महीनो से धरना पर बैठे किसानों ने काली पट्टी बांधकर और काले झंडों के साथ शहर में जुलूस निकालते हुए रोष प्रदर्शन किया। आपको बता दे कि, इन किसानों ने लघु सचिवालय पहुंचकर अधिकारियों को गुलाब के फूल थमाते हुए जल्द ही इस समस्या के समाधान की मांग की है। साथ ही सीएम व राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा है। और समाधान नहीं होने तक धरना जारी रखने की चेतावनी भी दी है। इतना ही नहीं, इन किसानों ने 14 अगस्त को रेल रोकने का अल्टीमेटम दिया है. नारनौल से गंगेहड़ी तक करीब 230 किलोमीटर की अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर आधा दर्जन क्षेत्रों में किसानों के धरने चल रहे हैं। दादरी जिले के 17 गांवों के किसान गांव मोड़ी और ढाणी फौगाट में दो स्थानों पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। तो वहीं पिछले दिनों जुलाना महापंचायत में 14 अगस्त का रेल रोकने का निर्णय लिया जा चुका है. इस दौरान किसान अपनी मांगों को लेकर रोजाना प्रशासनिक अधिकारियों के द्वार तक पहुंचेंगे और फूल देकर उनकी मांगों को याद दिलाएंगे।

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बिहार के पश्चिमी चंपारण में बारिश के बाद खेतों में जलजमाव से किसानों की धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। जिसके चलते हरिनगर चीनी मिल के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को अब गन्ने की फसल को बचाने के सुझाव दे रहे हैं।

हरियाणा के नूंह जिले में पिछले साल के मुताबिक,इस साल कपास की पैदावार ज्यादा हुई है। ऐसे में कपास में टिंड़े आने शुरू हो गए हैं साथ ही कीड़े लगने भी शुरु हो चुके हैं। जिससे किसान बेहद परेशान हैं। ऐसे में किसानों को चिंता सताने लगी है कि कहीं कीड़े से उनकी फसलें नष्ट ना हो जाएं।

राजस्थान में मानसून की लगातार बारिश से इन दिनों खेतों में खरीफ की फसलें लहलहाने लगी है इस बार अच्छी फसल की उम्मीद से उत्साहित किसान अब खेतों में फसलों के बीच से खरपतवार हटाने में जुटे हुए है। तो वहीं प्रदेश के कई जिलों खेतीहर भूमि में इन दिनों मूंग, मोठ, बाजरा, ग्वार सहित अन्य फसलें लहलहा रही हैं।

बिहार के मुज्जफरपुर में नील गाय और जंगली सुअर किसानों के गले की फांस बन चुके हैं। अब नील गाय ना सिर्फ फसलों का नुकसान पहुंचा रही है बल्कि किसानों पर भी हमला करने से पीछे नहीं हट रही हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने इसके लिए मुआवजा राशि का प्रावधान भी किया है मगर किसानों के अनुसार, ये राशि बहुत कम है साथ ही, प्रक्रिया इतनी लंबी है कि, किसानों को मुआवजा मिल ही नहीं पाता। 

 

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