October 2, 2023

Grameen News

True Voice Of Rural India

कुपोषण से निपटने को बिहार में प्रोत्साहित किया जा रहा है बायो-फोर्टिफिकेशन

कुपोषण से निपटने को बिहार में प्रोत्साहित किया जा रहा है बायो-फोर्टिफिकेशन

कुपोषण से निपटने को बिहार में प्रोत्साहित किया जा रहा है बायो-फोर्टिफिकेशन

Sharing is Caring!

विकास प्रबंधन संस्थान, बिहार, हार्वेस्ट प्लस तथा इंटरनेशनल फ़ूड पाॅलिसी रिसर्च इंस्टीच्यूट (IFPRI) के संयुक्त तत्वावधान में बिहार और उड़ीसा राज्य में चावल और गेहूँ में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए बायो-फोर्टिफिकेशन से संबंधित कार्यशाला का आयोजन पटना अवस्थित होटल लेमन ट्री में किया गया, जिसका उद्घाटन बिहार के कृषि डाॅ॰ प्रेम कुमार ने किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि विटामिन और खनिज सामग्री के प्रतिशत स्टेपल खाद्य पदार्थों में बढ़ाने के माध्यम से पोषण गुणवत्ता में सुधार एक प्रभावी, सरल और सस्ती रणनीति है।

आर्थिक सुस्ती के बावजूद इस ट्रैक्टर कंपनी की बाजार में पकड़ मजबूत

बायो-फोर्टिफिकेशन से रोका जा सकेगा कुपोषण

उन्होंने कहा कि दुनिया में लगभग 81.6 करोड़ से अधिक लोग (दुनिया की लगभग एक-चैथाई आबादी) एनीमिक हैं। इस आबादी में स्कूल जाने से पूर्व बच्चों की संख्या (47 प्रतिशत) तथा गर्भवती महिलाओं (37 प्रतिशत) में एनीमिक सबसे अधिक पाया जाता है, जिसका असर नकारात्मक स्वास्थ्य एवं विकास पर पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व स्तर पर लगभग 700 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं के आटा की खपत है, इसलिए गेहूं के आटे में फोर्टिफिकेशन कर आपूर्ति करना आसान है। सामान्य खाद्य पदार्थों में ही विटामिन एवं मिनरल मात्रा को बढ़ाकर कुपोषण की समस्या से निजात पाया जा सकता है।

कृषि मंत्री ने कहा कि विश्व के विकसित देशों में सूक्ष्म पोषक तत्वों के माध्यम से आटा में फोर्टिफिकेशन का कार्यक्रम पिछले 75 सालो से भी अधिक समय से जारी है। इसलिए विकसित देशों में कम एनीमिया से ग्रसित लोग तथा विकाशशील देशों में एनीमिया से ग्रसित अधिक लोग पाए जाते हैं। इसलिए ऐसे देशों में सरकारों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से फोर्टिफिकेशन के कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं।

डाॅ॰ कुमार ने कहा कि राज्य में खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा तथा फोर्टिफिकेशन के कार्यक्रम वृहत् पैमाने पर चलाने की आवश्यकता है, ताकि कुपोषण से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को बचाया जा सके। बिहार में लगभग 22 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में गेहूँ की खेती की जाती है तथा गेहूँ का उत्पादन लगभग 61 लाख मीट्रिक टन होता है। कृषि विश्वविद्यालयों, राजकीय संस्थानों तथा हार्वेस्ट प्लस संस्थान के माध्यम से गेहूँ में फोर्टिफिकेशन के कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि जिन संस्थानों द्वारा मिनरल एवं विटामिन से भरपूर फसल प्रभेदों को विकसित किया गया है, वो इसी राज्य सरकार को उपलब्ध कराएं, ताकि उसे किसानों को आसानी से उपलब्ध कराया जा सके। राज्य की सरकार ऐसे प्रभेदों को प्रोत्साहित करने के लिए कृतसंकल्पित है। ऐसे प्रभेदों को विकसित करने के लिए राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों को भी निर्देशित किया गया है। सरकार राज्य के कुपोषण मिटाने हेतु हर संभव सहायता करने को तैयार है। इसके लिए कृषि रोड मैप में भी आवश्यक प्रावधान किये गये हैं। यह कुपोषण से लड़ने के लिए एक मुहीम शुरू की गयी है। जिससे की फोर्टिफिकेशन के जरिए कुपोषण को खत्म किया जा सके।

 

खेती-बाड़ी से जुड़ी सभी जानकारियों के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें-

https://www.youtube.com/channel/UCBMokPDyAV7Pf4K9DGYbdBA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © Rural News Network Pvt Ltd | Newsphere by AF themes.