सहारा फारेस्ट प्रोजेक्ट फाउंडेशन की मदद से रेगिस्तान पर खेती कर रहे हैं जॉर्डन के किसान

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सहारा फारेस्ट प्रोजेक्ट फाउंडेशन की मदद से रेगिस्तान पर खेती कर रहे हैं जॉर्डन के किसान दुनिया में लगातार आबादी बढ़ती जा रही हैं और विश्व भर के अन्नदाताओं के सामने बस एक ही संकट है और वो है कि बढ़ती आबादी के लिए आखिर इतने अन्न की पैदावार कैसे की जाए। अन्नदाता बढ़ती आबादी का पेट बरने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। किसान नई तकनीकों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर फसलों की नई किस्मों को उगा रहा हैं मगर खेती के लिए उपजाऊ ज़मीन बहुत ही सीमित हैं और ऐसे में फसलों की पैदावार को बढ़ाना चुनौती भरा काम हैं। यही नहीं इसी के साथ कृषि के लिए पानी की भी भारी किल्लत हो रही हैं लेकिन इन तमाम मुश्किलों के बावजुद भी सहारा फारेस्ट प्रोजेक्ट फाउंडेशन ने जॉर्डन के रेगिस्तानी ज़मीन पर खेती कर कृषि क्षेत्र एक नई उम्मीद की किरण जगाई हैं। इस रेगिस्तानी ज़मीन पर खेती के लिए समुद्र के पानी का इस्तेमाल किया जाता हैं। ये करिश्मा सहारा फारेस्ट प्रोजेक्ट फाउंडेशन दवारा रचा गया हैं जिसमें कि वादी अराबा प्रोजेक्ट के तहत एक ग्रीन हाऊस में हर प्रकार की फल सब्जियां उगाई जा रही हैं। सहारा प्रोजेक्ट की शुरुवात पिछले साल सितंबर में हुई थी। करीब 200 हक्टेयर में फैली ग्रीन हाऊस की फसलों के लिए सूरज की रोशनी से बिजली पैदा कर समुद्र के पानी को साफ कर क्रषि योग्य बनाया जाता हैं। रेगिस्तानी इलाका होने के कारण यहां तापमान को नियंत्रण करना काफी कठिन होता हैं जिससे कि दिन में बहार की लू से फसलों को बचाने के लिए ग्रीन हाऊस में एयर कंडीशनर का उपयोग किया जाता हैं। वंही रात के समय दिन में सूरज की रोशनी से गर्म हुए पानी को ग्रीन हाऊस में गुज़ारा जाता हैं ताकि फसलें गर्म रह सकें।
जॉर्डन दुनिया के गरीब देशों में दूसरे नंबर पर हैं जहां पीने के पानी की सबसे ज्यादा किल्लत हैं मगर यहां दो चिज़ों की तादाद अधिक वो है पानी और सूरज की रोशनी जिसकी मदद से ही सहारा इस प्रोजेक्ट को चला रहा हैं। फिलहाल सहारा इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद इसे आगे बढ़ा कर इसमें रोजगार के नए अवसर खोलने की कवायद में जुटा हुआ हैं।